15 हजार मौत देखने वाले इस शख्स ने क्यों बनवाए हैं 10 ‘वेटिंग रूम’ ? आखिर 60 सालों में 15 हजार मौत देखने वाला ये शख्स है कौन ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
धर्म नगरी काशी पूरी दुनिया में मोक्ष यानि मुक्ति के लिए जानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि काशी में मरने वाला सीधे स्वर्ग जाता है। इसलिए अंतिम समय में लोग अपने परिजनों को ‘मुक्ति भवन’ लाते हैं, उनके साथ रहकर उनकी मौत की कामना करते हैं। मुक्ति भवन से जुड़ी ऐसे ही राज पर से पर्दा उठाया है यहां के मैनेजर भैरोनाथ शुक्ला ने, जो बीते 60 सालों के दौरान करीब 14 हजार 714 लोगों की मौत देख चुके हैं।
बनारस के गोदौलिया में बना काशी लाश मुक्ति भवन को साल 1958 में डालमिया चैरिटबल ट्रस्ट के फाउंडर विष्णु हरी डालमिया ने बनवाया था। डालमिया की दादी की इच्छा थी कि, बाहर से मुक्ति की कामना लेकर आने वाले वृद्ध, असहाय लोगों के लिए बाबा विश्वनाथ की शरण और गंगा के पास एक भवन होना चाहिए। उन्हीं की याद में इसे बनाया गया। इस भवन में करीब 10 रूम बने हैं, जिसमें मोक्ष प्राप्त करने वाला अपनी मृत्यु तक यहां परिवार के साथ रहता है।
शुक्ला के मुताबिक मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां आने वालों से कोई पैसा नहीं लिया जाता है। अगर कोई सक्षम है तो बिजली का बिल दे जाता है। यही नहीं अगर कोई असहाय है तो उसकी अंतिम क्रिया भी भवन की ओर से ही करवाई जाती है। अब तक यहां 14 हजार 714 लोग मोक्ष यानि मुक्ति पा चुके हैं।
उस भवन के मंदिर में सुबह-शाम पूजा-पाठ और कथा के बाद ‘राम’ नाम का कीर्तन होता है। पुजारी, मुक्ति लेने आए सभी लोगों के कमरे में जाकर ‘राम’ नाम का जाप सुनाते है और शंख बजाते हैं। पूरे भवन स्पीकर लगे हैं, जिसपर हमेशा राम नाम का कीर्तन बजता रहता है, ताकि मुक्ति पाने वाले के कान में राम नाम जाता रहे।