इस दरगाह पर चादर के बदले क्यों क्यों चढ़ाई जाती हैं घड़ियां ? इस दरगाह पर घड़ी चढ़ाए जाने का कारण जानने

लालकिला पोस्ट डेस्क
आज हम आपको हिंदू-मुस्लिम की एक ऐसे आस्था के प्रतीक से मिलाने जा रहे हैं, जहां की मान्यताओं को जानकर आप हैरान हो जाएंगे। हम बात कर रहे हैं वडोदरा-अहमदाबाद नेशनल हाइवे नम्बर 8 पर स्थित बालापीर बाबा की दरगाह के बारे में, जहां श्रद्धालु सिर्फ घड़ियां ही चढ़ाते हैं।
जी हां, घड़ियाली बाबा के नाम से मशहूर ये दरगाह रीब 200 साल पुराना है। यहां सभी धर्म के लोग आते हैं। इस दरगाह में श्रद्धालु केवल घड़ियां ही चढ़ाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की घड़ियाली बाबा पर अटूट श्रद्धा है। मनौती पूरी होने पर लोग दरगाह पर घड़ियां चढ़ाते हैं।
मान्यता है कि करीब 200 साल पहले यहां हजरत बालापीर बाबा रहते थे। उनके निधन के बाद उनके अनुयायियों ने उनकी याद में दरगाह बना दी। बरसों से एक हिंदू परिवार बालापीर की सेवा करता रहा है। हजरत बालापीर की दरगाह को चमत्कारी बताया गया है। हर रोज यहां लोग फूल, चादर और घड़ियां चढ़ाते हैं। खासतौर पर गुरुवार को हजरत बालापीर बाबा की इस दरगाह पर लोगों की भीड़ होती है। इस रास्ते से गुजरने वाले लोग भी बाबा के दर्शन के बाद ही आगे बढ़ते हैं।
कहा जाता है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए बालापीर के दर्शन कर मनौती रखते हैं। जब श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है, तो वे इस दरगाह पर आकर घड़ी, फूल और चादर चढ़ाते हैं। मान्यता है कि बालापीर की घड़ियों के कांटे भक्तों का काम पूरा करते हैं। इससे हजरत बालापीर की दरगाह को घड़ियाली बाबा की दरगाह के रूप में पहचाना जाता है। यहां हर रोज करीब 200 घड़ियां चढ़ाई जाती हैं। इसमें 50 रुपए से 5000 रुपयों तक की घड़ियां शामिल हैं। बाद में इन घड़ियों को स्कूल, सामूहिक विवाह या फिर अस्पतालों भी भेंट स्वरूप दे दिया जाता है।