पश्चिमी देशों में त्योहारों पर भूत क्यों बनते हैं लोग ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
आज हम आपको बताने जा रहे हैं, पश्चिमी देशों में मनाए जाने वाले एक खास त्यौहार के बारे में, जिसके बारे में आप शायद ही जानते हों। जी हां, हम बात कर रहे हैं हैलोवीन नाम के त्योहार के बारे में, जिसे वेसटर्न कंट्रीज में अपने पूर्वजों की याद में मनाया जाता है। ये त्यौहार अपने आप में बहुत खास है, क्योंकि इस त्यौहार को मनाने का अंदाज बेहद निराला है।
आमतौर पर लोग त्यौहार पर खूबसूरत कपड़ों में सजते हैं, लेकिन ये त्यौहार कुछ अलग है। इस दिन लोग डरावना रूप बनाते हैं। आत्माओं और भूतों की तरह मेकअप किया जाता है। कपड़े भी इसी थीम के अनुसार पहने जाते हैं। दऱअसल हैलोवीन पश्चिमी देशों में ईसाइयों की ओर से धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है, जोकि अक्टूबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 28 अक्टूबर को मनाया गया। इस त्यौहार के लिए सभी अपने-अपने अंदाज में तैयारियां करते हैं।
वहीं इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं। इस त्यौहार की शुरुआत आयरलैंड और स्कॉललैंड से हुई थी। यूरोप में सैल्टिक जाति के लोग मानते थे कि इस समय मृत लोगों की आत्माएं आकर संसारिक प्राणियों से साक्षात्कार करती हैं। वे सोचते थे कि उनके पुरखों की आत्मा धरती पर आएंगी। इसीलिए इस जाति के लोग चुड़ैल बनते और जानवरों के मौखटे, उनकी चमड़ी, उनके सिर पहनकर अलाव के आसपास नाचते गाते हैं। वे मानते हैं कि कोई विशिष्ट सर्वोच्च प्राकृतिक शक्ति है। हैलोवीन डे पर लालटेन जलाने की भी एक लोकप्रिय परंपरा है। इस त्यौहार के मनाने के पीछे एक लोककथा भी प्रचलित है।