ये है भारतीय रेल की कहानी, तीन साल में 160 से ज्यादा बलात्कार

लालक़िला पोस्ट डेस्क..
महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार से भारतीय रेल भी अछूति नहीं है। रेल में सफर कर रही महिलाएं कब बलात्कारियों के चंगुल में आ जाय कोई नहीं जानता। यह बात और है कि देश की सरकार महिलाएं सुरक्षित होने का दावा करती रहती है लेकिन अभी तक इस दावे में कोई दम नहीं लगता।
भारतीय रेल से आरटीआई के तहत जो जानकारी मिली है उससे साफ़ है कि महिलाएं रेल में भी सुरक्षित नहीं है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताविक पिछले तीन साल में रेल सफर के दौरान करीब 160 से ज्यादा महिलाएं बलात्कार की शिकार हुई है। ये आंकड़े 2017 -19 के बीच के हैं। आंकड़ों के मुताविक 2017 में 51 महिलाएं रेल सफर के दौरान ओर रेल परिसर में बलात्कार की शिकार हुई। 2018 में यह आंकड़ा 70 तक पहुँच गया। 2019 में 44 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुई।
मध्यप्रदेश नीमच केसामजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर केसवाल पर रेल विभाग ने जो जबाब दिए हैं ,चौकाने वाले हैं। जानकारी के मुताविक 2017 -19 के दौरान रेल परिसर में बलात्कार की 136 महिलाएं शिकार हुई जबकि रेल सफर के दौरान 29 महिलाये बलात्कार की शिकार हुई।
मामला यही तक का नहीं है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के भी मामले बढे हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1672 मामले इन्ही तीन सालों में दर्ज हुए हैं जिनमे 802 मामले रेलवे परिसर के हैं जबकि 870 मामले चलती ट्रेनों के हैं। इसके अलावे इन तीन सालों में चलती ट्रैन में अपहरण के 771 मामले ,लूटपाट के 4718 मामले और हत्या के प्रयास के 213 मामले दर्ज हुए हैं।
यह बात और है कि रेल में सुरक्षा का दायित्व राज्य सरकार का विषय है अपराध की रोकथाम ,मामले दर्ज करना ,उनकीजांच और रेलपरिसरों और चलतीट्रेन में कानून और व्यवस्था बनाये रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। के काम जीआरपी और राज्य पुलिस के जरिए किया जाता है।