राज्य सभा चुनाव : चौतरफा संकट में फसी कांग्रेस

लालकिला पोस्ट डेस्क
राज्य सभा चुनाव में अपनी सीटों को लेकर कांग्रेस कई राज्यों में संकट में फस गई है। मध्यप्रदेश में सिंधिया के इस्तीफे से कमलनाथ की सरकार को लेकर संशय पैदा हो गया है जबकि वहाँ राज्य सभा के उम्मीदवारों की की संभावना भी छीन हो गई है। गुजरात में चार विधायकों के इस्तीफे के बाद गुजरात में कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया है। बीजेपी की नजर अब राजस्थान और हरियाणा पर चली गई है। राजस्थान में अशोक गहलोत और हरियाणा में हुड्डा के विरोधी विधायकों पर भी बीजेपी की नजर है। बीजेपी इन विधायकों के जरिये क्रॉस वोटिंग कराकर अपने उम्मीदवारों को जीत हासिल करने में जुट गई है। झारखंड में भी कांग्रेस के इकलौते उम्मीकदवार के लिए जरूरी आंकड़े पूरे नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में विधायकों की मामूली बगावत भी इन राज्यों में कांग्रेस का खेल पूरी तरह बिगाड़ देगी। दरअसल 17 राज्यों की 55 राज्यसभा सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस ने पूरा जोर लगाया हुआ है। लेकिन राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस का समीकरण गड़बड़ा दिया। इससे जहां पार्टी की एक राज्यसभा सीट कम हुई, वहीं राज्य सरकार का भविष्य भी दांव पर लग गया है।
रविवार को गुजरात में भी विधायकों के इस्तीफे ने कांग्रेस की दूसरी सीट जीतने की संभावनाओं पर ग्रहण लगा दिया है। इस सूबे में पार्टी को अपने दोनों उम्मीदवार जिताने के लिए 74 विधायकों की जरूरत है। पहले पार्टी को उम्मीद थी कि अपने 73 और निर्दलीय जिग्नेश मेवाणी के सहारे वह दोनों सीट निकाल लेगी। लेकिन अब चार विधायकों के इस्तीफे ने पार्टी के रणनीतिकारों को उलझा दिया है।
हरियाणा में एक राज्यसभा सीट निकालने के लिए कांग्रेस को 31 विधायकों का मत जुटाना होगा। फिलहाल पार्टी के पास यहां 30 विधायक हैं यानी एक मत से पहले ही वह पीछे है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला की जगह भूपेंद्र हुड्डा के अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को उम्मीदवार बनाने से फूट पैदा हुई है। इससे कुछ विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं। जाहिर है क्रास वोटिंग होने पर दीपेंद्र की राह मुश्किल हो जाएगी।
हरियाणा और राजस्थान में एक जैसा ही समीकरण है। चर्चा है कि डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक सीएम अशोक गहलोत के करीबी नीरज डांगी को उम्मीदवार बनाने से खुश नहीं है। ऐसे में यहां भी भाजपा को पायलट गुट के विधायकों की क्रास वोटिंग की उम्मीद है। इसी कारण भाजपा ने राजस्थान में अपना दूसरा उम्मीदवार भी उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।