दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ी

अखिलेश अखिल
क्या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ गई है ? जिस तरह एनआरसी और सीएए के के विरोध में उठी आवाज के बाद अचानक दिल्ली हिंसा ग्रस्त हो गई है उससे लगने लगा है कि कुछ घटनाओं के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा।
इसे संयोग कहे या नया प्रयोग। 2002 में गुजरात में हुए दंगे की तस्वीर पूर्वोत्तर दिल्ली के इलाके में दिखाई पड़ी। पिछले तीन दिनों में 18 लोगों के मारे जाने की खबर के साथ ही 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुये हैं। आधार दर्जन मीडिया कर्मी भी पीटे गए जिनमे दो पत्रकारों की हालत नाजुक बताई जा रही है। भजनपुरा इलाके में जिस तरह से दर्जनों लोग एक इंसान को लाठी -बल्ले से पीट रहे थे और पिटाई खाने वाला शख्स लहूलुहान होकर भी अपनी जान की भीख मांग रहा था वह गुजरात दंगे की याद ताजा करती है।
दूसरी कहानी यह है कि दिल्ली के करावलनगर के बाद यूपी लोनी का इलाका शुरू हो जाता है। इस बॉर्डर इलाके में सभी समाज के लोग मजदूरी या नौकरी या फिर छोटा मोटा व्यवसाय करके परिवार चलते हैं। पिछले तीन दिनों से इन सीमाई इलाकों में भरी तनाव जारी है। लोग रात भर जाग रहे हैं। इस इलाके से भारी संख्या में युवा लाठी ,तलवार और घातक हथियार लेकर दिल्ली की तरफ यह हिंसा ग्रस्त इलाके में दौड़ते फिर रहे हैं। आज सुबह भी कई युवा मोटर साइकल पर सवार होकर हथियार के साथ हिंसा ग्रस्त इलाके में जाते देखे गए। रात में मुस्लिम इलाके के लोग अल्लाह हो अकबर के नारे लगा रहे हैं तो हिन्दू लोग जय श्रीराम का जय घोष कर रहे हैं। डर सबमे व्याप्त है।
कहानी का तीसरा पक्ष यह है कि दिल्ली की पूरी कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। पुलिस केंद्र के हाथ है लेकिन पुलिस असहाय हो गई है। दिल्ली सटे यूपी के इलाके में हालत नाजुक बानी हुई है। कोई पुलिस पेट्रोलिंग नहीं। संभावना है कि अब इन इलाको में हिंसा की घटना ना हो जाय।
अभी तक गृहमंत्री और प्रधान मंत्री का काकोई बयान हिंसा को लेकर नहीं आना किसी आश्चर्य से कम नहीं। लगता है कि दिल्ली को जलने के लिए छोड़ दिया गया हो। दिल्ली की जनता अगर राजनीतिक बहकावे में आएंगे तो संभव है कि हिंसा की कुछ और घटनाये दूसरे इलाके में घट जाय। इतना साफ़ हो गया है कि दिल्ली में जो भी हो रहा है वह सब राजनीतिक इशारे पर ही संभव है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि इस खेल को कुछ और बढ़ाकर दिल्ली को राष्ट्रपति शासन के हवाले किया जा सकता है। सूत्रों से मिलरही जानकारी के मुताविक इस दिशा में सरकार के लोग आपस में बात भी कर रहे हैं।