हे राजदारों! मत बांटो देश को

अखिलेश अखिल
दिल्ली के यमुना पार इलाके राजनीति की भेंट चढ़ गए। दिल्ली के ये भीड़ भरे इलाके ही राजनीति के टारगेट पर क्यों आए यह जांच का विषय है।लेकिन ये जांच कौन करेगा और उसकी जरूरत क्यों होगी यह कौन बताए। सच यही है कि पिछले दिनों दिल्ली की हुई विधान सभा चुनाव में इस इलाके में भरी बहुमत से केजरीवाल को जीतने का काम किया। आप की जीत और बीजेपी की हार भला दोनों पार्टी के अंधभक्तों को कैसे हजम हो।ऊपर से केंद्र सरकार की एनआरसी और सी ए ए हा हौआ ने राजदारों को दिल्ली को तबाह करने के लिए मौका से दिया।
खेल देखिए। अभी कुछ दिन पहले ही जिन हिन्दू मुस्लिम वोटरों ने एक साथ मिलकर आप जैसी पार्टी को जिताया कुछ दिन बाद वहीं हिन्दू मुसलमान नागरिकता कानून पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए। एक दूसरे के जान के दुश्मन हो गए । एक दूसरे को तबाह करने को तैयार हो गए। फिर दोनों तरफ के घायल हुए लोग एक ही अस्पताल में इलाज कराने पहुंच गए। डॉक्टर दोनों पक्षों के घायलों का इलाज तत्परता से कर रहे हैं और दोनों पक्षों के लोग मिलकर सरकार के लोगो को गरिया रहे हैं।
तीसरा खेल ये है कि लड़ने वाले लोगों में कोई नेता शामिल नहीं है।किसी नेता के बच्चे शामिल नहीं है। किसी नेता के दलाल या एजेंट शामिल नहीं है। ऐसे में साफ है कि यमुना पार के इलाके में को भी हालत है उसके लिए राजदार और राजनीति ही जिम्मेदार हैं। एक बात और। मौजपुर इलाके में जिस शाहरुख नाम के युवा ने गोलियां चलाई और पुलिस पर पिस्टल ताना उसकी कहानी भी कमतर नहीं। उस उपद्रवी को किसने उकसाया अभी तक पता नहीं।लेकिन सोमवार की घटना ने यह साबित कर दिया कि दिल्ली की घनी बस्ती में अपराध और अपराधियों काफी गुंजाइश है। सोमवार की घटनाएं बेटा रही है कि यमुना पार इलाके में करीब दर्जनों राउंड गोलियां चली। गोली चलने वाले हिन्दू भी थे और मुसलमान भी। इसमें कोई किसी से कम नहीं।ऐसे में सवाल यह भी है कि इन अपराधियों के पास पिस्टल और गोलियां वह भी अवैध रूप से आती कहां से है। कम से कम पुलिस को इसका जबाव देना चाहिए।
हिंसा में शहीद हेड कांस्टेबल रतन लाल और मेरे गए फुरकान के अलावा अधा दर्जन और लोगों की मौत पर दिल्ली और देश के राजदार क्या बयान देंगे इसे अभी देखना बाकी है। यमुना पार के इलाके में प्रवासी लोगों की ही आवादी है।बिहार,यूपी,बंगाल और उत्तराखंड के लोग इस इलाकों में बहुतायत रूप में है। वे चाहे हिन्दी हों या मुसलमान ,सब यहां रोजी रोटी की तलाश में आकर रहा रहे हैं। इस इलाके के कुछ मुहल्ले अक्सर सांप्रदायिक हिंसा की वजह से बदनाम होते रहे हैं लेकिन पूरा यमुना पार कभी खून से लथपथ नहीं हुआ था ।
कह सकते हैं कि राजदार लोग अपनी राजनीति को अंजाम देने के लिए देश के अन्य इलाकों में भी कहीं खराबा कराए लेकिन हम भारत के लोग अगर आज भी नेताओं के खेल को नहीं समझ पाए हैं तो फिर दोष राजनीति का नहीं दोष हमारी समझ की है।