करोना इफ़ेक्ट : भारत की विकास दर 1.6 फीसदी पर आने की संभावना

लालकिला पोस्ट डेस्क
कोरोना वायरस के कारन हुए लॉक डाउन की वजह से वैश्विक बैंकिंग समूह गोल्डमैन सैश ने यह अनुमान व्यक्त किया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर पिछले पूर्वानुमान 3.3 फीसदी की तुलना में कई दशक के निचले स्तर 1.6 फीसदी पर आ सकती है। वहीं, इस साल दुनियाभर में मंदी आने की भी संभावना है।
गोल्डमैन ने इससे पहले 22 मार्च के अनुमान में कहा था कि 2020-21 में भरत की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रह सकती है। अब उसने इसे घटाकर 1.6 प्रतिशत कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार इस बार हालात 1970 तथा 1980 के दशक के और 2009 के झटकों से भी गहरे हो सकते हैं।

कोरोना वायरस संकट से पहले भी नरमी के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। महामारी के बाद आर्थिक हालत और बिगड़ी ही है। कई विश्लेषक कोरोना वायरस को देखते हुए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा रहे हैं। कुछ विश्लेषकों ने तो पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट तक की संभावना व्यक्त की हैं। गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक इस संकट को लेकर आक्रामक रवैया नहीं दिखाया है। प्रयासों को तेज करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘अभी तक की आर्थिक सहायता तथा आने वाले समय में इसे बढ़ाए जाने के अनुमान के साथ हमारा मानना है कि लॉकडाउन तथा लोगों की घबराहट के कारण मार्च व अगली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट आने के अनुमान हैं। सैश ने कहा कि पिछले दो हफ्तों में कोविड-19 संकट के कारण गोल्डमैन सैश की वैश्विक टीम अनुमान जताती है कि दुनिया 2020 में मंदी का सामना करेगी। उसने कहा, ‘हमने 2020 में अपने वैश्विक जीडीपी पूर्वानुमान को -1.8 प्रतिशत तक घटा दिया है, जो इस वर्ष की शुरुआत में जताए गए अनुमान से 5 प्रतिशत से अधिक कम है। अमेरिका के लिए हमने 2020 में अपने विकास का अनुमान पहले के -3.7 प्रतिशत की तुलना में -6.2 प्रतिशत घटाया है।