और आतंकी नायकू मुठभेड़ में मारा गया —

लालकिला पोस्ट डेस्क
कट्टर इस्लामी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू को बुधवार को सुरक्षा बलों ने उसी के घर में मार गिराया। वह 35 साल का था। उसने हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडन बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद खुद को इस आतंकी संगठन का स्थानीय मुखिया घोषित कर दिया था। असल में नायकू गणित का शिक्षक था, लेकिन आतंक की उसे ऐसी सनक चढ़ी कि वह मोस्ट वांटेड आतंकी बन गया। नायकू वर्ष 2016 में उस समय चर्चा में आया, जब वह एक आतंकवादी की शव यात्रा में एके-47 से गोलियां बरसाकर सलामी देता नजर आया। इसी साल सुरक्षा बलों ने बुरहान वानी को ढेर किया था। उसके बाद इसके वीडियो और ऑडियो वायरल होने लगे और वह अब तक अनेक स्थानीय युवकों को आंतकी बनने के लिए बरगला चुका था।
वर्ष 2018 में नायकू किस हद तक खतरनाक हो गया था, इसका अंदाजा उसकी एक करतूत से लगाया जा सकता है। जब वह शिक्षक की नौकरी छोड़कर आतंकी बनने के लिए बंदूक थाम चुका था तो उसकी घर वापसी के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों ने तमाम प्रयास किए, लेकिन वह नहीं लौटा। आखिर में उसकी गिरफ्तार के लिए और उसका पता लगाने के लिए पुलिस ने उसके बाप असदुल्लाह नायकू को हिरासत में ले लिया था। इस पर नायकू ऐसा बौखलाया कि उसने अपनी ताकत दिखाने के लिए कुछ ही घंटो में जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के 12 परिजनों को बंधक बना लिया। इसके बाद उसने पुलिस को ब्लैकमेल किया कि यदि उसके बाप को नहीं छोड़ा गया तो वह उन सभी बंधकों को मार डालेगा। मजबूरन पुलिस को उसके बाप को छोड़ना पड़ा। इसके बाद उसने भी सभी बंधकों को छोड़ दिया। इस घटना के बाद ही उसे आतंकियों की सबसे खतरनाक श्रेणी ए++ कैटेगरी में डाला गया था। साथ ही पर 12 लाख रुपए का इनाम भी था।
नायकू पुलिसवालों और सुरक्षाबल के जवानों के अपहरण और हत्या की फिराक में रहता था। चूंकि उसके आने-जाने के बारे में किसी को सूचना नहीं होती थी, इसलिए खुफिया एजेंसियां भी उसका सुराग नहीं लगा पा रही थीं। इसी दौरान अगस्त 2017 में उसने जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी राशिद का उस समय अपहरण कर लिया जब वह छुट्टी मनाने अपने घर जा रहे थे। इसके बाद उसकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई थी। इसी के बाद नायकू सबसे ज्यादा चर्चा में आया था। वह कई अन्य पुलिसकर्मियों के अपहरण और हत्या में भी शामिल था।
रियाज नायकू कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला था। पहले वह अच्छा भला शिक्षक था और बच्चों को पढ़ाता था, लेकिन 2010 में कश्मीर में जारी उपद्रव के दौरान आतंकियों के बहकावे में आया और वह पत्थरबाजी और प्रदर्शन में शामिल हुआ और गिरफ्तार कर लिया गया। यह उपद्रव आतंकी संगठनों ने पत्थरबाजों को भगाने के लिए दोगे गए आंसूगैस का गोला लगने से एक बच्चे तुफैल मट्टू की मौत के बाद शुरू हुआ था। पाकिस्तान में बैठे आकाओं की शह पर उस वक्त लंबे समय तक कश्मीर में पत्थरबाजी होती रही और कर्फ्यू लगा रहा। उसे 2 साल तक जेल में ही रखा गया। इसके बाद जब वह 2012 में जेल से छूटा तो वह आतंकी बनने की ठान चुका था। इसके बाद एक दिन उसने अपने मां-बाप से पैसे लिए और अचानक बिना किसी को कुछ बताए गायब हो गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर उसकी आतंकी के रूप में तस्वीरें सामने आईं। माना जाता है कि वह पाकिस्तान चला गया था और वहां से आतंकी की ट्रेनिंग लेकर लौटा। हालांकि नायकू ने 2017 में एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी का स्वागत करेगा, क्योंकि मिलिटेंट्स कश्मीरी पंडितों को अपना दुश्मन नहीं मानते। लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी संगठन चाहते ही नहीं कि कश्मीरी पंडित कभी कश्मीर लौटें। धीरे-धीरे वह बुरहान वानी का करीबी बन गया और उसकी मौत के बाद स्वयंभू कमांडर भी बन गया। 2017 में वह घाटी के 12 टॉप आतंकियों की लिस्ट में शामिल था। 2018 में सेना की हिट लिस्ट में शामिल 17 आतंकियों में भी नायकू का नाम था।
नायकू अपने गांव में बीमार मां से मिलने आया था। नायकू जब सुरक्षा बलों की हिट लिस्ट में था तो उसने एक बार प्रेमिका को मैसेज भेजे थे। उसने लिखा था- तुम मुझे चिनार के पेड़ की याद दिलाती हो। इस मैसेज के जरिए सुरक्षा बलों ने नायकू तक पहुंचने की राह तलाश ली। उसके के बल पर सुरक्षाबलों ने उसे ट्रैक कर लिया और खत्म कर डाला।