रावण

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दोस्तों आज हम रावण के एक अलग पहलू के बारे में बात करेंगे। ये एक जबरदस्त मोटिवेशन भी है। रावण को वाल्मीकी जी ने भी महापंडित और शास्त्रों का ज्ञाता बताया है। वो ज्योतिष के साथ साथ रुद्र वीणा का भी जानकार था। वो महाकाल के भक्तों में सबसे उत्तम माना जाता है। यही वजह है कि अपनी मृत्यू के आभास के बाद वो अंतिम बार महाकाल का पूजा अर्चन करता है और उनसे संवाद भी करता है।
रावण के इस पहलू की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि स्वयं भगवान श्री राम ने रावण के इस पांडित्य को पहचाना था। मृत्यू के अंतिम पलों में रावण जब युद्ध भूमि में पड़ा था तब श्रीराम ने लक्ष्मण उससे ज्ञान लेने के लिए कहा। रावण के 8 वचन नीति शास्त्र के उत्तम वचनों में गिने जाते हैं। यही वजह है कि रावण को लक्ष्मण का गुरू भी कहा जाता है। वही लक्ष्मण जो रावण के मृत्यू के लिए पल प्रति पल यत्न कर रहे थे उन्हें रावण ने ये गूढ़ ज्ञान दिया भी।
ऐसा कहा जाता है कि ये 8 बातें गीता के ज्ञान की ही तरह महत्वपूर्ण हैं। इन 8 बातों में जीवन का संपूर्ण ज्ञान छिपा हुआ है। श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा थी कि रावण के प्राण निकले के पहले फौरन उसका ज्ञान हासिल करो। जब लक्ष्मण रावण के पास पहुंचे तो रावण ने कहा कि यदि तुम एक शिष्य के नाते आए हो तो मेरे चरणों के पास बैठो सबसे पहले गुरू का सम्मान करना आवश्यक है।
रावण ने इन 8 वचनों को सुनाने से पहले लक्ष्मण को ये बताया की अच्छे कर्म ही मनुष्य जीवन की पूंजी हैं। अपने कर्म पर ध्यान रखना चाहिए जितने ज्यादा से ज्यादा अच्छे कर्मों को धारण किया जाए जीवन उतना सफल होता है। एक बड़ा बुरा कर्म आपके सारे अच्छे कर्मों के परिणाम खत्म कर देता है।
इसके बाद रावण ने राजनीती शास्त्र की इन आठ बातों को लक्ष्मण के सामने रखा
- अपने सारथी, द्वारपाल, रसोईये और भाई को कभी दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहिए। ये आपको कभी भी भयंकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनका साथ और विश्वास हमेशा बनाए रखना चाहिए।
- चाहे आप हमेशा विजेता ही क्यों न रहे हों कभी ये गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि आपकी जीत का सिलसिला हमेशा चलता रहेगा। हार के लिए तैयार रहना और उस समय क्या करेंगे के लिए भी विचार करना चाहिए।
- जो आपकी आलोचना करते हैं ऐसे मंत्रियों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। वो आपके सच्चे हितैषी है और आपको उनसे हमेशा सही जानकारियां ही मिलेंगी।
- अपने दुश्मन को कभी कमजोर न समझे, मैंने ये गलती हनुमान को कमजोर समझकर की थी। मैं हनुमान की महान शक्ति को पहचान नहीं पाया।
- आप भाग्य को नहीं बदल सकते हैं। कभी इस बात का गुमान नहीं पालना चाहिए कि आप सितारों की चाल को बदल देंगे। हमारे साथ वहीं होगा जो हमारे भाग्य में लिखा है।
- चाहे भगवान के खिलाफ हो या भगवान की शरण में हो, जो भी करों पूर्ण समर्पण से करो। यदि भगवान के पक्ष में हो तो कभी संदेह मत करो और पूर्ण समर्पण करो। इसी तरह यदि विरोध में हो तो पूर्णता के साथ विरोध करो।
- जिस राज को यश की प्राप्ति करना हो उसे सिर उठाने के कुछ क्षणों में ही लालच को त्यागने की कला आनी चाहिए। यानी ऐसे राजा को लालच का विचार आते ही उसे जहर के समान मानना चाहिए।
- राजा को किसी के साथ भी छोटे से छोटा अच्छा काम करने का मौका नहीं चूकना चाहिए। किसी भी अच्छे काम को करने में कोई टालमटोल नहीं करना चाहिए। अच्छा काम अच्छा भाग्य लाता है और जो इसे टालते हैं वो दुर्भाग्यशाली होते हैं।
रावण के ये 8 वचन आज भी उतने ही काम के हैं जितने रामायण काल में थे। रावण के नकारात्मक पहलू के बावजूद उससे ज्ञान लेने की भगवान द्वारा दी गई प्रेरण ये भी बताती है कि आप अपने दुश्मन और बुरे से बुरा काम करने वालों से भी कुछ सीख सकते हैं या उनके सकारात्म पहलुओं को जान सकते हैं। उम्मीद है ये बातें आपके जीवन में नया उजाला लाएंगे।