अफ्रीका का सबसे अमीर शहर रेत के अंदर क्यों हो गया दफ्न ? आखिर इस शहर का क्या है हीरा से कनेक्शन ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
ये है साउथ अफ्रीका के नामिब रेगिस्तान में मौजूद कोलमैंसकोप नाम का शहर। रेत के बीच बसा ये शहर कभी दुनियाभर में हीरों की खदान के लिए मशहूर था। लेकिन जैसे ही यहां हीरे मिलना बंद हुआ, लोग शहर छोड़कर दूसरी जगहों का रूख करने लगे।
दऱअसल कोलमैंसको टाउन की खोज 1900 के दशक में हुई, जब यहां पहली बार रेत पर बैठे-बैठे एक शख्स को हीरा मिल गया। साल 1908 में लाइन खोदते एक रेलवे वर्कर को एक पत्थर मिला। जब उसने पत्थर को अपने सुपरवाइजर को दिखाया, तब पता चला कि इस जगह पर हीरे के खदान हैं। हीरे की खदान की खबर ऐसी फैली कि कुछ ही साल में नामिब के रेगिस्तान में भी जर्मनी से आए सैकड़ों लोगों ने मकान खड़े कर लिए और वहीं बस गए।
जब यहां जर्मनी से लोग आकर बसे तब उस दौर में इस शहर को अफ्रीका के सबसे अमीर शहरों में गिना जाता था। यहां हॉस्पिटल से लेकर स्कूल, पावर स्टेशन, कैसिनो सहित तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद थीं। यहां तेजी से हीरों के खनन का काम शुरू हो गया। जब लोगों को पता चला कि इस रेगिस्तान से थोड़ी दूर एक दूसरा शहर है, जहां हीरे मौजूद हैं, तो लोग शहर छोड़कर वहां बसने लगे।
महज 40 साल के अंदर ही ये टाउन बस भी गया और वीरान भी हो गया। अब यहां खाली पड़े मकान रेत में दबते चले जा रहे हैं। माइनिंग कंपनी डी बियर्स ने 1980 में एक म्यूजियम सेटअप किया था, ताकि कोलमैंसको टाउन की यादों को यहां संजोया जा सके। अब ये जगह फोटोग्राफर्स और टूरिस्ट को ही अट्रैक्ट करती है। हर साल हजारों लोग इस जगह के इतिहास और वर्तमान को देखने आते हैं।