हर्ड इम्यूनिटी का जोखिम अमेरिका को पड़ेगा भारी ! हर्ड इम्यूनिटी को लेकर अमेरिका को वैज्ञानिक ने कौन सी बड़ी चेतावनी दी है ? जानिए

लालकिला पोस्ट डेस्क
कोरोना से लड़ने का अब तक का जो सबसे कारगर हथियार है…वो है सोशल डिस्टेंसिंग…यानी एक दूसरे से दूरी बनाए रखना…लेकिन ये दूरी तब तक ही बनी रह सकती है…जब तक लॉकडाउन चल रहा है…जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा, लोग अपने घरों से बाहर निकलेंगे और तब इस सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो जाएगा…ऐसे में दुनिया में हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंचने को लेकर बहस तेज हो गई है…हालांकि वैज्ञानिक इसे बेहद खतरनाक मान रहे हैं…
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंटिस्ट…डॉ. यास्चा मॉन्क का कहना है कि अमेरिका के हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंचने के दौरान…कोरोना वायरस से 20 लाख लोगों की मौतें हो जाएंगी…मॉन्क ने न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस के संक्रमण और मौतों के आंकड़े के आधार पर ये बात कही…मॉन्क के मुताबिक मृत्यु दर एक फीसदी भी रखा जाए…तो अमेरिका में हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने तक 20 लाख लोगों की मौतें हो जाएंगी…मॉन्क का ये बयान ऐसे वक्त में आया है…जब एक रिपोर्ट से पता चला था कि अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित 25 फीसदी आबादी में…वायरस का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है…इसके बाद से ही ये चर्चा होने लगी…कि अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोग इम्यून हो सकते हैं…और मौत का आंकड़ा भी कम रहने वाला है…
दुनिया के डॉक्टर्स का एक धड़ा ऐसा भी है…जिनका कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग या फिर लॉकडाउन कोरोना का इलाज नहीं…बल्कि सिर्फ तात्कालिक बचाव है…इसलिए तात्कालिक की जगह स्थायी उपाय अपनाया जाना चाहिए…और इसके लिए लोगों को अपने घरों से बाहर आना चाहिए…लोग जब अपने घरों से बाहर आएंगे…तो बहुत संभव है कि उन्हें कोरोना का संक्रमण हो जाएगा…जितने ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित होंगे, इंसानी शरीर में उतनी ही इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता यानी हर्ड इम्यूनिटी विकसित होगी…जो कोरोना के खिलाफ स्थायी इलाज के तौर पर काम करेगी… आपको बता दें कि हर्ड इम्यूनिटी उस स्थिति को कहते हैं…जब आबादी के 80 से 95 फीसदी लोग वायरस से इम्यून हो चुके होते हैं…इसका असर ये होता है कि वायरस का प्रसार आबादी में रुक जाता है…और बचे हुए अन्य लोगों को भी बीमारी नहीं होती है…