ओजोन में हुआ इतिहास का सबसे बड़ा छेद कैसे हुआ बंद

लालकिला पोस्ट डेस्क
कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के कई देश लॉकडाउन में हो…मगर इससे पेड़-पौधे, जीव जंतु और प्रकृति जरूर चैन की सांस ले रहा है…लॉकडाउन की वजह से भारत की भी कई नदियां साफ हुई हैं…बल्कि अब इसका असर नॉर्थ पोल के ऊपर स्थित ओजोन लेयर पर भी देखने को मिल रहा है…
दरअसल इसी महीने यानी अप्रैल की शुरुआत में वैज्ञानिकों को नॉर्थ पोल के ऊपर स्थित…ओजोन लेयर में 10 लाख वर्ग किमी का एक छेद दिखा था…जो इतिहास का सबसे बड़ा छेद था…मगर लॉकडाउन की वजह से कम हुए प्रदूषण के चलते…ये छेद अब भर गया है…जो किसी खुशखबरी से कम नहीं है…इससे पहले भी लॉकडाउन ने दक्षिणी ध्रुव के ओजोन लेयर के छेद को कम किया था…
बताया जा रहा है कि लॉकडाउन की वजह से दुनिया भर में…आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों समेत यातायात तक बंद हो गया था…माना जा रहा है कि इस वजह से वायु प्रदूषण में जो सुधार हुआ है…उससे ये छेद बंद हो सका है…असल में ओजोन लेयर के छेद को कम करने के पीछे मुख्यतः 3 सबसे बड़े कारण थे…बादल, क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स और हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स…इन तीनों की मात्रा स्ट्रेटो स्फेयर में बढ़ गई थी…इनकी वजह से स्ट्रेटो स्फेयर में जब सूरज की अल्ट्रवायलेट किरणें टकराती हैं…तो उनसे क्लोरीन और ब्रोमीन के एटम निकल रहे थे…यही एटम ओजोन लेयर को पतला कर रहे थे…और उसका छेद बड़ा होता जा रहा था…इसमें प्रदूषण औऱ इजाफा करता…लेकिन लॉकडाउन में वो हुआ नहीं…
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी स्थिति आमतौर पर…दक्षिणी ध्रुव यानी साउथ पोल के ऊपर ओजोन लेयर में देखने को मिलता है…लेकिन इस बार उत्तरी ध्रुव के ऊपर ओजोन लेयर में ऐसा देखने को मिल रहा है…आपको बता दें कि स्ट्रेटो स्फेयर की परत धरती के ऊपर…10 से लेकर 50 किलोमीटर तक होती है…इसी के बीच में रहती है ओजोन लेयर…जो धरती पर मौजूद जीवन को सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाती है…