अपना कानून वाले बिहार के इस अदालत के बारे में कितना जानते हैं

लालकिला पोस्ट डेस्क
हम भले ही चांद पर जाने की बात कर रहे हों, लेकिन हमारा समाज आज भी पुरानी और दकियानुसी परंपराओं को निभाने में मशगूल है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, बिहार के समस्तीपुर जिले में घुमंतू खानाबदोश कुररियाड़ महासंघ की पंचायत की, जो इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है।
इस समुदाय के लोग अपने सभी विवाद खुद निपटाते हैं। ये लोग न थाने जाते हैं और न ही कचहरी। हाल ही में इस निजी अदालत में इस समुदाय के निजी कानून और न्यायिक प्रक्रिया के तहत दोषियों को सजा दी गई। इसे लेकर कई तस्वीर और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें दोषियों को अजीब तरीके से सजा दी जा रही है। गोवर्धन अदालत के नाम से मशहूर इस कोर्ट के जज का फैसला सर्वमान्य होता है। यहां हर अपराध के लिए अलग-अलग सजा सुनाई जाती है।
मसलन किसी महिला की ओर से पति को छोड़कर किसी दूसरे पुरुष से अनैतिक संबंध बनाने पर, उसके पति या अभिभावक को भी सजा दी जाती है। जघन्य अपराध करने वालों को समाज से वंचित कर दिया जाता है। हाल ही में आयोजित इस अदालत में हत्या के प्रयास और दुष्कर्म समेत अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए सात दोषियों को शारीरिक और आर्थिक सजा दी गई। अदालत के बीच न्याय के खंभे से बांधकर दोषियों के चेहरे पर कालिख और चूना लगाया गया। इतना ही नहीं कई के सिर के बाल काट दिए गए।
इस अदालत के 32 और कासमा और मिरदाहा के आठ-आठ जज सिर पर सफेद पगड़ी बांधकर मामले की सुनवाई की। इस समाज के परंपरागत रीति रिवाज और कानून के आधार पर मामले की सुनवाई करते हुए दोषियों को सजा दी गई। इस अदालत में राज्य के अलग-अलग जिलों से लगभग 25 हजार लोग शामिल हुए। मौके पर काफी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। कहा जाता है कि मुगलकाल से ही इस समाज की न्यायिक व्यवस्था और कार्यप्रणाली सरकार की विधि व्यवस्था और कानून से अलग है। यहां समाजिक स्तर पर पारंपरिक न्याय व्यवस्था और कानून के आधार पर मामले की सुनवाई होती है। खास बात ये है कि ये अदालत इस समाज का सुप्रीम कोर्ट है, इसके बाद किसी दूसरे कोर्ट में मामले की अपील नहीं होती। जज का फैसला सर्वमान्य है। इसे लोग स्वीकार करते हैं।