इस शापित और खौफ़नाक जगह आने से क्यों डरते हैं लोग ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
दुनिया अजीबोगरीब रहस्यों से भरी हुई है जहां समय-समय पर नए-नए रहस्योद्घाटन होते रहे हैं। लेकिन कुछ रहस्य ऐसे हैं जिनसे पर्दा हटाने की जितनी बार कोशिश हुई रहस्य और भी गहरा होता चला गया है। कहते हैं कई लोग इन स्थानों के रहस्यों को जानने के लिए जान की बाजी भी लगाई और अपनी जान भी गंवाई लेकिन राज अब भी बरकरार है, क्योंकि ये जगहें शापित बताई जाती है। भारत के कुछ महल, खंडहर, मंदिर और किले ऐसे ही कई रहस्यों को छुपाए हुए हैं।
नंबर एक- बाजीराव मस्तानी का किला
ये है बाजीराव मस्तानी का किला जिसे शनिवार बाडा के नाम से जाना जाता है। कहते इस किले में पेशवा नारायण राव को सुमेर सिंह ने दौड़ा-दौड़ा कर मारा था। मरते समय नारायण राव चिल्ला रहे थे राघोवा मुझे बचा लो। कहते हैं आज भी इस शापित किले से ऐसी आवाजें आती हैं।
नंबर दो- पिठौरिया गांव का किला
पिठौरिया गांव झारखंड की राजधानी रांची से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। इसे राजा जगतपाल सिंह ने बनवाया था। कहते हैं राजा जगतपाल ने क्रांतिकारी ठाकुर विश्वनाथ नाथ शाहदेव के खिलाफ अंग्रेजों का पक्ष लेते हुए गवाही दी थी, जिससे क्रांतिकारी विश्वनाथ नाथ शाहदेव को मौत की सजा मिली। मरते हुए शाहदेव ने श्राप दिया कि जगतपाल का किला विरान हो जाएगा। और इस पर बिजली गिरेगी। उस श्राप के कारण किले पर सालों से बिजली गिरती आ रही है।
नंबर तीन- कुलधारा गांव
कुलधारा गांव जैसलमेर से करीब 18 किलोमीटर दूर है। कहते हैं इस गांव में पालीवाल ब्राह्मण रहा करते थे। गांव की एक लड़की पर दीवान की गंदी नजर थी और उसे पाने के लिए दीवान ने गांव वालों को धमकी दी। परेशान गांव वालों ने रातों रात गांव छोड़ दिया और जाते-जाते श्राप दे गए कि कभी यह गांव आबाद नहीं होगा।
नंबर चार- भानगढ़ का किला
इस किले में रात के समय यहां प्रवेश वर्जित है। हालांकि दिन के समय सैलानी इस किले में मजे से घूमते देखे जा सकते हैं। ये बदनाम किला भानगढ़ के किले के नाम से जाना जाता है। इस किले को एक तांत्रिक के श्राप से प्रभावित बताया जाता है।
और नंबर पांच- किराडू मंदिर
ये मंदिर राजस्थान के बारमेर जिले में है। कहते हैं सालों पहले किराडू में एक तपस्वी अपने शिष्यों के साथ आए थे। तपस्वी एक दिन शिष्यों को छोड़कर देशाटन के लिए चले गए। इस बीच शिष्य बीमार हो गए। गांव वालों ने इनकी कोई मदद नहीं की। तपस्वी जब वापस लौटे और अपने शिष्यों की दुर्दशा देखी, तो गांव वालों को श्राप दे दिया। शाम ढलने के बाद कोई भी यहां नहीं ठहरता।