कितने प्रधानमंत्री को लालकिले पर झंडा फहराने का मौका नहीं मिला ?
लालकिला पोस्ट डेस्क
वैसे तो हर नेता का सपना होता है कि एक दिन वो प्रधानमंत्री बने और वो दिन आए जब वो लाल किले पर झंडा फहराकर देशवासियों को संबोधित करे। लेकिन देश के इतिहास में दो ऐसे नेता हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री बनने के बावजूद लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। तो आइए जानते हैं उन प्रधानमंत्रियों के बारे में जो 15 अगस्त के मौके पर तिरंगा फहराने से महरूम रह गए।
जी हां, हम बात कर रहे हैं, गुलजारी लाल नंदा और चंद्रशेखर की, जो पीएम बनने के बावजूद लाल किले ने झंडा नहीं फहरा पाए। इनमें से गुलजारी लाल नंदा तो दो बार 13-13 दिन के लिए पीएम की कुर्सी पर बैठे थे। पहली बार वो 27 मई से 9 जून 1964 और दूसरी बार 11 से 24 जनवरी 1966 तक पीएम रहे।
नंदा पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद और दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री के देहांत के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए गए। लेकिन उनके दोनों कार्यकाल उतने ही समय तक सीमित रहे, जब तक कि कांग्रेस ने अपने नए नेता का चयन नहीं किया। नंदा के अलावा चंद्रशेखर दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्हें लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराने का मौका नहीं मिला। चंद्रशेखर 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक भारत के पीएम रहे।
लाल किले से सबसे ज्यादा बार झंडारोहण करने का रिकॉर्ड पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम है। जिन्होंने 15 अगस्त 1947 से मई 1964 तक लगातार 17 बार तिरंगा फहराया। इसके बाद नंबर आता है इंदिरा गांधी का, जिन्होंने अपने कार्यकाल में 16 बार तिरंगा फहराया। इसके अलावा मनमोहन सिंह ने लाल किले से 10 बार झंडा फहराया है। वहीं राजीव गांधी और नरसिंह राव ने 5-5 बार लाल किले से झंडा फहराया।
इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी अपने पहले कार्यकाल में लाल किले पर तिरंगा फहराने नहीं पहुंच पाए। लेकिन दूसरे कार्यकाल में उन्हें ये मौका लगातार छह बार मिला। वो सबसे ज्यादा बार झंडारोहण करने वाले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं। जबकि चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, लाल बहादुर शास्त्री को ये सौभाग्य सिर्फ 1-1 बार और मोरारजी देसाई को दो बार ही मिल पाया है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांचवी बार लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराकर देश को संबोधित कर चुके हैं।
