सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
सर्दी के मौसम में बुजुर्ग और बीमार लोगों को अपने स्वास्थ्य का खास खयाल रखना चाहिेए। खासकर दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को। ऐसा इसलिए, क्योंकि डॉक्टरों की मानें तो इस मौसम में दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। खासकर सुबह के वक्त जब रक्त वाहिकाएं सिम्पेथेटिक ओवर एक्टिविटी के कारण संकुचित होती हैं। अगर वातावरण में प्रदूषण ज्यादा हो तो हार्ट अटैक का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। इसका कारण ये है कि धुएं की स्थिति बिगड़ने लगती है और प्रदूषक तत्व हवा में नीचे बने रहते हैं और इधर-उधर फैल नहीं पाते।
डॉक्टरों की मानें तो सर्दियों के शुरुआती दिनों के दौरान अधिक धुंध और स्मॉग आम है। सर्दियों में बारिश के दौरान ज्यादा नमी होने पर तापमान में गिरावट आती है। जबकि, शुष्क या जाती हुई सर्दियों में फॉग या स्मॉग गायब कम हो जाता है और ठंडी हवाएं भी बंद हो जाती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, हवा की खराब गुणवत्ता और धुआं दिल के दौरे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इसकी वजह से समय से पहले मौत हो सकती है। दिल की समस्या वाले लोगों के लिए इन दिनों अधिक जोखिम रहता है।
इस मौसम में होने वाले नुकसानों में आंखों में लालिमा, खांसी या गले में जलन, सांस लेने में कठिनाई प्रमुख है। स्मॉग से अस्थमा के तेज दौरे पड़ सकते हैं, साथ ही ये दिल के दौरे, स्ट्रोक, को भी बढ़ा सकता है। इस मौसम में बच्चे, वृद्ध, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारियों वालों विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
मसलन अस्थमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस वाले मरीजों को स्मॉग वाले दिनों में दवा की खुराक में वृद्धि कर लेनी चाहिए। स्मॉग की स्थिति में जॉगिंग, रनिंग जैसी गतिविधियों से बचें, स्मॉग के दौरान पैदल चलने से बचें, जितना संभव हो बाहर जाने से बचें, स्मॉग के घंटों के दौरान धीरे-धीरे ड्राइव करें। दिल के रोगियों को स्मॉग के दौरान सुबह के टहलना बंद कर देना चाहिए, फ्लू और निमोनिया के टीके लगवा लें।