लिव इन में रहने को मजबूर क्यों हैं इस गांव के आदिवासी ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
आजकल जहां भारतीय परिवेश में भी बिना शादी के रहना ट्रेंड में है, वहीं झारखंड के गुमला जिले के एक गांव में लोग मजबूरन लिव इन में रहते हैं। हालांकि ऐसा वो अपनी मर्जी से नहीं करते हैं। इसके पीछे उनकी कुछ मजबूरियां हैं।
गुमला के चरकटनगर गांव में कुछ लोग बीते कई सालों से लिव इन में रह रहे हैं। ऐसा करने के पीछे कुछ और नहीं, बल्कि उनकी मुफलिसी है। उनके पास शादी की दावत देने के पैसे नहीं है। गरीबी के चलते वो शादी की दावत आयोजित नहीं कर सके, जो कि उनके समुदाय में शादी को मान्यता देने के लिए जरूरी है। हालांकि हाल ही में इन कपल्स की शादी को मान्यता दिलाने के लिए एक एनजीओ ने सामूहिक विवाह का आयोजन कराया, जहां करीब 132 जोड़े शादी के बंधन में बंध गई।
शादी की परंपरा के अनुसार, उनके दोस्तों और रिश्तेदारों को भोज भी कराया गया। हालांकि झारखंड के ओरांव, मुंडा और हो आदिवासियों के बीच लिव-इन में रहना सामान्य है, क्योंकि इन समुदायों के लोग आर्थिक रूप से काफी पिछड़े होते हैं और शादी दावत के लिए खर्चा उठा पाने में सक्षम नहीं होते हैं। स्थानीय बोलचाल में इन्हें धुकुआ कहा जाता है। इसमें महिलाओं को अपने पार्टनर के साथ रहने के लिए समाज की अनुमति लेनी होती है, लेकिन पत्नी के बजाय वो धुकनी कहलाती है, जिसका मतलब है बिना शादी के महिला का घर में रहना।