17 करोड़ में संपन्न हुआ ‘हाउडी मोदी’ का विहंगम खेल

अखिलेश अखिल
पीएम मोदी का भव्य कार्यक्रम अमेरिका में और नर्तन भारत के गलियों में। मानो मोदी जी चाँद और सूरज पर पहुँच कर रोजगार की वर्षा भारत में करने वाले हैं। भारत की सारी समस्यायों का खात्मा होना है। मोदी जी का कार्यक्रम संपन्न हो गया। कार्यक्रम से पहले और बाद में कई समझौते दोनों देशों के बीच भी हुए। कुछ राजनीतिक गपशप भी हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति भी मंच से खूब बोले। इतराये भी और अमेरिकी भारतियों को सराहा भी। कारण एक ही है आगामी चुनाव में अमेरिकी भारतीय उन पर कृपा करें। आगे का अंजाम क्या होगा इसे देखना बाकी है।
अमेरिका की चौथी घनी आबादी वाला शहर ह्यस्टन टेक्सास राज्य का सबसे बड़ा नगर है। इस शहर में साढ़े 22 लाख की आबादी, दुनिया की 90 भाषाएं अलग-अलग बोलती हैं। बावजूद इसके, ह्यूस्टन में एक-दूसरे को हैलो बोलने के लिए लोग ‘हाउडी का इस्तेमाल करते हैं। डेढ़ लाख भारतीय मूल के अमेरिकी यहां रहते हैं। इनमें से 200 लोगों का एक ग्रुप, ‘हाउडी मोदी का आयोजक रहे । इन्होंने 20 लोगों की वर्किंग कमेटी बनाई,शिखर पर विराजे छह लोग सारी व्यवस्था को नियंत्रित करने में लगे रहे । ह्यूस्टन में रहनेवाले इन अमेरिकन-इंडियन में से कोई मेटल प्रोडक्ट के व्यापार में है, कोई ऑयल-गैस, एनर्जी और कंज्यूमर प्रोडक्ट के कारोबार में लगा हुआ है। कुछेक लोग नौकरी-पेशेवाले व जज हैं। इनमें से 40 बड़े डोनर और कई मघ्यम दर्जे के दानदाताओं ने 2.4 मिलियन डॉलर (रुपये में 17 करोड़ 10 लाख) जुटाये,और ‘हाउडी मोदी शो को साकार करने में लग गये।
अमेरिका के एनआरजी फुटबाल स्टेडियम में हाउडी मोदी कार्यक्रम के लिए ह्यूस्टन को इसलिए चुना गया क्योंकि न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और वाशिंगटन डीसी में मोदी के बड़े कार्यक्रम हो चुके हैं। टेक्सास इंडिया फोरम लोकसभा चुनाव से पहले मोदी को बुलाना चाहता था, लेकिन संभव नहीं हो सका। ह्यूस्टन में तेल व प्राकृतिक गैस की बड़ी कंपनियों के मुख्यालय हैं। मोदी का सभी से मुलाकात का कार्यक्रम भी रखा गया था। ह्यूस्टन दुनिया के सबसे बड़े मेडिकल सेंटर में शुमार है। टेक्सास मेडिकल सेंटर से बीते कुछ महीनों में एम्स समेत भारत के कई अस्पतालों के करार हुए हैं।आयुष्मान भारत के तहत भारतीयों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्त्य सेवाएं उपलब्ध कराने की चर्चा भी पीएम के एजेंडे में है। इसके अलावा मोदी अमेरिकी सांसदों से भी मिले। भारतीय-अमेरिकी समुदाय के 800 पदाधिकारी पीएम से व्यक्तिगत मुलाकात भी किये।
अमेरिकी संगठन यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम ने कहा है कि ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम न सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए बल्कि दोनों देशों के लिए भी फायदेमंद है। फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा, ‘कुल मिलाकर, संदेश बेहद स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक सहयोगी हैं और ये रिश्ते समय के साथ और मजबूत होंगे।’मुकेश अघी ने यह भी कहा, ‘अमेरिका के सबसे समृद्ध अल्पसंख्यक भारतीय-अमेरिकी पहली बार इतनी बड़ी संख्या में कहीं एकत्रित हो रहे हैं। यह एक ऐसे राज्य में हो रहा है जो चुनाव के लिहाज से हमेशा महत्वपूर्ण रहा है।
राष्ट्रपति ट्रंप के लिए ह्यूस्टन आना और प्रधानमंत्री मोदी के साथ सभा को संबोधित करना दोनों के लिए फायदेमंद है।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी के नजरिए से ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां उन्हें अमेरिका की जरूरत है। उनमें से एक मुद्दा क्षेत्र की भू-राजनीति है।माना जा रहा है कि जब प्रधानमंत्री के साथ ट्रंप सभा को संबोधित करके यह सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका और भारत भू-राजनीति के मुद्दे पर भी एक हैं। यह दोनों देशों के लिए भी फायदे की बात है।’ अघी ने कहा कि कश्मीर मसले पर अमेरिकी सरकार का रुख भारत के पक्ष में ही है क्योंकि वह इसे एक द्विपक्षीय और आंतरिक मामला मानता है।
अब एक नजर इस खेल के बारे में। पहली नजर में लगा कि ह्यूस्टन में रहनेवाले गुजरातियों का कोई ग्रुप होगा। मगर, नहीं। यह दक्षिण की लॉबी है, जो पिछले पांच वर्षों से मोदी भक्ति में लीन है। इनमें जुगल मलानी सबसे आगे हैं। गूगल खोलियेगा, इनके परिवार के साथ पीएम मोदी दिखेंगे। कर्नाटक के बीदर में जन्मे जुगल मलानी 1981 से ह्यूस्टन में रह रहे हैं। अपनी तदबीर और तकदीर से इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट कंपनी खड़ी कर ली, जहां कोई डेढ़ सौ कर्मचारी काम करते हैं। पत्नी न्यूरोलॉजिस्ट हैं। कर्नाटक से एक और बड़ा नाम इस ग्रुप में है, भामी वी. शिनॉय। जार्जिया के नेशनल ऑयल कंपनी से जुड़े थे। गैस और क्रूड ऑयल की कंपनी ‘कोनोको फिलिप्स में स्ट्रेटिजिक प्लानिंग मैनेजर रह चुके हैं, और इस समय ऊर्जा कारोबारी हैं। ये भी मोदी के आराधक हैं, समय-समय पर पी. चिदंबरम की बैंड बजाते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार पुष्परंजन की एक रिपोर्ट मोदी के इस कार्यक्रम के बारे में कई जानकारियां उपलब्ध कराती है। रिपोर्ट के मुताविक 13 सितंबर को भामी वी. शिनॉय ने पीएम मोदी को इस आयोजन के हवाले से जो पत्र मेल किया, वह काफी दिलचस्प है। उस प्रेम पत्र में पीएम मोदी की कश्मीर से लेकर कामधेनु नीति का जो यशोगान किया है, वह भामी की भक्ति रस का रसास्वादन करने के लिए काफी है। कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसे उचित ठहराते हुए भामी वी. शिनॉय ने लिखा कि घाटी के 80 लाख मुसलमान, देश के 20 करोड़ मुसलमानों से भिन्न नहीं हैं। यदि मुसलमानों के साथ इतना बुरा बर्ताव हो रहा है, तो बांग्लादेशी मुसलमान यहां क्यों आ रहे हैं? मोदी सरकार की कश्मीर नीति को विश्व समुदाय द्वारा समर्थन का अर्थ यह है कि वो जिहाद और खलाफत के सफाये में हमारी मदद कर रहे हैं। मोदी की गौ संरक्षण नीति की प्रशंसा करते हुए लिखा कि इससे शाकाहार को बढ़ावा मिलेगा। शिनॉय के पत्र का दिलचस्प हिस्सा देश की बदलने वाली शिक्षा नीति है। उन्होंने मोदी सरकार की ड्राफ्ट न्यू एजुकेशन पॉलिसी (डीएनएपी) पर पुष्पवर्षा करते हुए लिखा,’मोदी जी, इससे मैकाले की शिक्षा नीति से मुक्ति मिलने वाली है। इस वास्ते प्रवासी भारतीयों का जो ब्रेन बैंक है, उसका इस्तेमाल आप अवश्य करें।
ऊर्जा कारोबारी भामी वी. शिनॉय ने 1140 शब्दों के इस खुले पत्र को उन सभी 50 हजार लोगों को मेल किया है, जिन्होंने ‘हाउडी मोदी शो में आने के लिए रजिस्टर्ड कराया था। यह खुला पत्र एक तरह से आयोजकों के उद्देश्य का आइना है, कि वे किन कारणों से इस शो का आयोजन कर रहे हैं। प्रवासी भारतीयों के लिए एक तरह से इसे नीति निर्देशक भी माना जाना चाहिए। इस खुले पत्र को बहुत सोच-समझकर, पूरी योजना के साथ प्रस्तुत किया गया है। ऊर्जा कारोबारी भामी वी. शिनॉय ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में यह भी सुझाव दिया है कि आप गैस सेक्टर को और उदार बनायें, ताकि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश कर सकें। राष्ट्रीय चेतना बढ़ाने के साथ-साथ धंघा भी चोखा हो यही ‘हाउडी मोदी मेगा शो का मूल उद्देश्य है।
भारत में जो कोई भी ‘हाउडी मोदी मेगा शो को लेकर अचंभित और अभिभूत है, उन्हें नहीं मालूम कि ह्यूस्टन के अमेरिकन-इंडियन 1985 में राजीव गांधी को और 1994 में पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री रहते बुला चुके हैं। दिवंगत हो चुके पूर्व प्रधानमंत्रियों ने अपने समय बिना किसी इवेंट मैनेजमेंट के ह्यूस्टन के भारतीय समुदाय को संबोधित किया था। बावजूद इसके, मोदी के वास्ते 22 सितंबर को पेश होने वाला फिरंगी तड़का बहुत मायने में भिन्न है। 400 कलाकार डेढ़ घंटे तक पहले नृत्य-संगीत से माहौल बनाते रहे फिर मंच पर पीएम मोदी और प्रेसिडेंट ट्रंप की राजनीतिक प्रस्तुति हुई।
अब सवाल यह है कि प्रेसिडेंट ट्रंप बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना क्यों बन रहे हैं? क्या उसके पीछे उनका कारोबारी दिमाग है, या फिर 3 नवंबर 2020 को होने वाला राष्ट्रपति चुनाव है? 1.3 प्रतिशत इंडियन-अमेरिकन प्रेसिडेंट ट्रंप के लिए कितना मायने रखते हैं, और क्या सभी 44-45 लाख इंडियन-अमेरिकन पीएम मोदी के आह्वान पर रिपब्लिकन पार्टी के लिए वोट डालने चल देंगे? ऐसे सवाल को अगले 13 महीनों के वास्ते छोड़ देना चाहिए। ‘हाउडी मोदी मेगा शो में तो बस यही होगा, ‘तू मेरी खुजा-मैं तेरी। लेकिन इस खुजाने-सहलाने के क्रम में कश्मीर का सवाल ट्रंप ने उठा दिया, तो क्या होगा? ट्रंप के स्वभाव का पूर्वानुमान लगाना किसी के लिए भी कठिन है। मोदी की पूरी अमेरिका यात्रा में कश्मीर में मानवाधिकार का मुद्दा दरे बहस से बाहर हो, यह भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के लिए सबसे चुनौती भरा कार्य लगता है।बता दें उसी अमेरिका में मानवाधिकार से जुड़े लोग मोदी सरकार को कठघरे में भी खड़ा कर रहे हैं।
22 से 27 सितंबर तक पीएम मोदी अमेरिका में रहेंगे। दोनों देशों के बीच 20 द्विपक्षीय बैठकें होनी हैं। 27 सितंबर को पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। ‘आतंकवाद, पर्यावरण, विश्व विकास में भारत का योगदान जैसे विचार फलक की प्रस्तुति होगी। उनके ठीक बाद इमरान खान को भी यूएन में बोलना है। ऐसा क्या यह संभव है, कश्मीर पर पाकिस्तानी पीएम चर्चा ही न करें? जैसा कि विदेश सचिव विजय केशव गोखले ने कहा था कि अपने बयान में कहा कि 370 को निरस्त करना और सूबे का विभाजन हमारा आंतरिक मामला है, उस विषय पर यूएन में चर्चा नहीं होगी। यह लाइन ऑफ एक्शन भारत का हो सकता है। क्या जरूरी है कि जो आप चाह रहे हैं, वही अंतरराष्ट्रीय फोरम पर हो? पिछले गुरुवार को जब विदेश सचिव मीडिया को संबोधित कर रहे थे, उससे चंद घंटे बाद, यूएन के सेक्रेट्री जनरल अंटोनियो गुटरेस ने कश्मीर में मानवाधिकार का सवाल उठा दिया।
ऐसा लगता है जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक कश्मीर के सवाल पर एशियन-अमेरिकन वोटरों के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल खिंच जानी है। इसमें पीएम मोदी भी अपना हित देख रहे हैं। ‘हाउडी मोदी जैसा मेगा शो उनके राजनीतिक लक्ष्यों कैसे आगे बढ़ाएगा, उसे नजरअंदाज न करें। ‘हाउडी मोदीवायरस का विस्तार अभी दुनिया के कई हिस्सों में होना है। ह्यूस्टन के मंच पर मोदी न सिर्फ चक्रवर्ती सम्राट के रूप में प्रस्तुत हुए , अपितु आने वाले दिनों में प्रवासी भारतीयों को उनके भावी अजेंडे से कैसे जुड़ना है, उसका विजन भी सामने लाया जाएगा। 16 दिसंबर 1773 को बोस्टन की टी-पार्टी पढ़ी होगी आपने। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को अमेरिकन कॉलोनी में कैसे बिना टैक्स दिये चाय सप्लाई करनी थी, इस वास्ते वह टी-पार्टी हुई थी। 246 साल बाद,ह्यूस्टन में मोदी की ‘टी-पार्टी है। देखिएगा, क्या कमाल होता है! लेकिन एक बात तय है। भारत की विपक्षी पार्टी बदहवास है। उसे कुछ सूझ नहीं रहा। क्या सच है और क्या झूठ इसका फैसला ना राजनीतिक पार्टियां कर पा रही है और नाही भारतीय जनता। राजनीतिक पार्टियों में रुदाली का माहौल है तो जनता में भांग का नशा छाया हुआ है। देश का हिंदी पट्टी मस्त है। हिंदी पट्टी के लोग कहने के लिए नमक का दरोग बनने की अलापें ले रहे हैं लेकिन भीतर से उनकी दलाली ,मक्कारी ,ठगी जारी है।