दिल्ली दंगे की सुनवाई कर रहे जस्टिस मुरलीधरन का आखिर तबादला हो गया

अखिलेश अखिल
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधरन का अचानक तबादला कर दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट से उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में तबादला कर दिया गया। जस्टिस मुरलीधरन के अचानक इस तबादले कीकाफी आलोचना कांग्रेस कर रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेताओं को बचाने और हिंसा की साजिस का पर्दाफास नहीं होने के मकसद से सरकार ने जस्टिस मुरलीधरन का तबादला किया है।पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि यह कपिल मिश्रा और कुछ अन्य भाजपा नेताओं को बचाने का षड्यंत्र है, लेकिन ‘मोदी-शाह सरकार’ सफल नहीं होगी। बता दें कि जस्टिस मुरलीधर दिल्ली दंगे की सुनवाई कर रहे थे और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वे भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने पर जल्द फैसला लें। जज ने पुलिस की निष्क्रियता को लेकर भी कड़ी फटकार लगाई थी और पीड़ितों को सभी जरूरी मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया था।
आपको यह भी बता दें कि बीते 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश की थी।
कांग्रेस का मानना है कि 26 फरवरी को जस्टिस मुरलीधर एवं जस्टिस तलवंत सिंह की दो न्यायाधीशों की पीठ ने दंगा भड़काने में कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्यवाही करने का आदेश दिया। इसके कुछ घन्टे बाद ही एक न्यायधीश का तबादला कर दिया गया। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर हमला बोला है. न्यायपालिका के खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या भाजपा नेताओं को बचाने के लिए तबादले का यह कदम उठाया गया? क्या भाजपा सरकार को डर था कि भाजपा नेताओं के षड्यंत्र का पर्दाफाश हो जाएगा? कितने और न्यायाधीशों का तबादला करेंगे?उन्होंने दावा किया, ‘न्यायपालिका पर दबाव डालने का काम भाजपा सरकार ने कोई पहली बार नहीं किया है। पहले भी कई बार कर चुकी है। जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस गीता मित्तल के मामलों में ऐसा किया गया। उधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने न्याय अवरुद्ध करने का प्रयास किया है।
उधर , दिल्ली हाईकोर्ट के जज एस. मुरलीधर के तबादले पर घिरी मोदी सरकार की ओर से भी सफाई आई है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सफाई दी है कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में 12 फरवरी को ही उनके तबादले की सिफारिश कर दी गई थी। किसी भी जज के ट्रांसफर पर उनकी भी सहमति ली जाती है और इस प्रक्रिया का भी पालन किया गया है।