भारत में नागरिकता पर बवाल ,दूसरे देशों की नागरिक लेने के लिए भारतियों में होड़

लालकिला पोस्ट डेस्क
भारत में नागरिकता कानून को लेकर भले ही आपसी टकराव की राजनीति चल रही हो और विपक्ष से लेकर जनता तक सत्ता सरकार से सवाल पूछ रही हो लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ की हालिया एक रिपोर्ट बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रही है। रिपोर्ट के मुताविक भारत के 1 करोड़ 75 लाख लोग दूसरे देशों में रह रहे हैं और वहां के नागरिक बन गए हैं। दुनिया के कई देशों में तेजी से नागरिकता ले रहे भारतियों की यह कहानी कई सवालों को जन्म दे रही है। सच यही है कि दुनिया के कई देशों में नागरिकता ले रहे ये भारतोय को ामभरतीय नहीं है। ये अमीर लोग हैं ,बिजनेस मैन हैं और प्रोफेशनल हैं। जाहिर सी बात है कि दुनिया के देशों में बसने वाले इन लोगों को अब भारतीय व्यवस्था से परेशानी हो रही है। याद रहे ये लोग पहले बहार रहकर भारत में आपसे भेज रहे थे जिससे हमारी अर्थव्यवस्था चल रही थी लेकिन अब ये लोग दूसरे देशों में ही बस जाने को तैयार हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था कीकमजोरी का यह भी एक कारण मन जा सकता है। रिपोर्ट के मुताविक 2019 में भारत 1.75 करोड़ की प्रवासी आबादी के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के मामले में सबसे ऊपर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट ‘द इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019’ में कहा गया है कि दुनियाभर में प्रवासियों की संख्या करीब 27.2 करोड़ पर पहुंच गई है। इस रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की उम्र, लिंग और मूल देश तथा दुनिया के सभी हिस्सों के आधार पर संख्या बताई गई है। कुल प्रवासियों की संख्या दुनिया की आज की आबादी का 3.5% है, जबकि 2000 में यह 2.8 % थी। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया के आधे प्रवासी सिर्फ 10 देशों में रहते हैं।
रिपोर्ट का एक दूसरा पक्ष भी है। भारत ने 2019 में 51 लाख अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों को देश में जगह दी। हालांकि, यह 2015 के 52 लाख आंकड़ों से कम है। अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों को अपने यहां जगह देने वाले देशों में सबसे ऊपर यूरोप और उत्तरी अमेरिका हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में यूरोप में 8.2 करोड़ और उत्तरी अमेरिका में 5.9 करोड़ प्रवासी रह रहे हैं। 2010 के मुकाबले 2019 में प्रवासियों की संख्या 5.1 करोड़ पर पहुंच गई।