देश की महारत्न कंपनी बीपीसीएल बिकने को तैयार, 28 अन्य कम्पनिया भी बिकेगी

अखिलेश अखिल
2014 सभा चुनाव में बीजेपी के थीम गीत को याद कीजिये। शायद ही आपको याद हो। क्योंकि आपको याद करने के लायक ही नहीं बनाया गया। आपकी यादास्त को कुंद किया गया ताकि आप कोई सवाल ना पूछें। खैर हम बात कर रहे थे 2014 के चुनावो गीत के बारे में। वो गीत था – ”वो लूट रहे हैं सपनो को ,मै चैन सेकैसे स जाऊं ,वो बेच रहे अरमानो को ,खामोश मैं कैसे हो जाऊं ,हां मैंने कसम उठाई है ,मैं देश नहीं बिकने दूंगा ,मैं देश नहीं बिकने दूंगा। ”
इस गीत को प्रसून जोशी ने तैयार किया था। इस गीत का चुनावी माहौलपर बड़ाही ख्हास असर पड़ा था। और खासबात ये है कि इस गीत को पीएम मोदी की आवाज में ही रिकॉर्ड किया गया था। तो खास बात ये है कि तब देश को बिकने नहीं दूंगा की कसमखाने वाली बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार अब देश को बेच रही है। डंके कचोट पर देश की बोलियां लगाई जा रही है।
दर्जनों सरकारी कंपनियां बिकने को तैयार है। कह सकते हैं कि मोदी का यह समय देश में निज़ीकरण का दूसरा दौर है। सौगंध मुझे इस मिटटी कि ,मै देश नहीं मिटने दूंगा ,मै देश नहीं झुकने दूंगा की राग अलापने वाले मोदी अब देश की संपत्ति को किसी भी सूरत में निजी हाथों में देने को तैयार हैं। अभी हालिया खबर ये है कि देश के सबसे बड़े निजीकरण अभियान के तहत केंद्र सरकार ने शनिवार को भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित कीं।
निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने बोली दस्तावेज में कहा कि बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए दो मई को रूचि पत्र जारी किया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में पेट्रोलियम विपणन एवं रिफाइनिंग कंपनी बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में विनिवेश आय से 2.1 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा था जिसको पूरा करने के लिए बीपीसीएल का निजीकरण आवश्यक है। बोली दस्तावेज में कहा गया, ‘भारत सरकार बीपीसीएल में अपने 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर यानि बीपीसीएल की इक्विटी शेयर पूंजी में से कुल 52.98 प्रतिशत साझेदारी के रणनीतिक विनिवेश के साथ ही प्रंबधन नियंत्रण को रणनीतिक खरीदार का प्रस्ताव दे रही है। सरकार ने रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के प्रबंधन और इस विषय पर सलाह देने के लिए डेलोइट टोशे टोमात्सु इंडिया एलएलपी को अपने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रस्तावित दस्तावेज में कहा गया है कि निजीकरण में भागीदारी के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) योग्य नहीं हैं। इसमें कहा गया है कि 10 बिलियन अमरीकी डालर की कुल मूल्य वाली कोई भी कंपनी बोली लगाने के लिए पात्र है और चार से अधिक फर्मों के कंसोर्टियम को बोली लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पिछले दिनों डीएमके के सांसद पी बेलूसमी ने सरकार से घाटे में चल रही कंपनियों के बारे में सवाल किया था जिसे सरकार ने हिस्सेदारी बेचने के लिए चिन्हित किया है। सवाल के जबाव में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लिखित जबाव में बताया कि सरकार लाभ और हानि के आधार पर विनिवेश का फैसला नहीं करती वल्कि उन सरकारी कंपनियों में विनिवेश का फैसला करती है जो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में नहीं है। मंत्री ने बताया कि वर्ष 2019 -20 के दौरान सरकार ने विनिवेश के लिए 65000 करोड़ का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार रणनीतिक विक्री के साथ हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रियाओं का सहारा लेती है।
मंत्री अनुराग ठाकुर ने 28 सरकारी कंपनियों की सूचि जारी कि जइसेबेचने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली हुई है। ये कम्पनिया हैं – भारत पर्यटन विकास निगम ,हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड ,शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया ,बंगाल केमिकल्स ,एचएएल लाइफ केयर ,पवन हंस ,एयर इंडिया ,फेरो अर्थ मूवर्स लिमिटेड ,भारत अर्थ मूवर्स ,सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ,सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया ,भारत पम्पस एंड कंप्रेशर्स लिमिटेड ,हिंदुस्तान न्यूज़ प्रिंट लिमिटेड ,स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड और ब्रिज एंड रूफ कंपनी लिमिटेड।
जो सरकार पिछले चुनाव तक देश को नहीं बेचने की कसमे का रही थी वही सरकार अब देश की सरकारी कंपनियों को बेचने को तैयार है।