मध्यप्रदेश में सियासी संकट : आज सुप्रीम कोर्ट में होगी अहम सुनवाई

लालकिला पोस्ट डेस्क
सुप्रीम कोर्ट आज मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी संकट से जुड़े विश्वास मत को लेकर अहम सुनवाई करेगा। सूबे में जारी सियासी संकट को लेकर कमलनाथ सरकार के सदन में विश्वास मत हासिल करने को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने याचिका दायर की थी जिसपर आज सुनवाई होनी है।चौहान ने अपनी याचिका में कहा है कि कमलनाथ सरकार के पास सत्ता में बने रहने का ‘कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार’ नहीं रह गया है। सोमवार को तेजी से हुए घटनाक्रम में चौहान और भाजपा के नौ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति के राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए शक्ति परीक्षण कराए बिना 26 मार्च तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित किये जाने के तुरंत बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। प्रजापति ने कोरोना वायरस का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित की. याचिका का अविलंब सुनवाई के लिये शीर्ष अदालत के संबंधित अधिकारी के समक्ष उल्लेख किया गया जिसमें विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव को मध्य प्रदेश विधानसभा में इस अदालत के आदेश देने के 12 घंटे के भीतर राज्यपाल के निर्देशों के अनुसार शक्ति परीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की गई है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ मंगलवार को सुनवाई करेगी। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 16 मार्च को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत में सोमवार को संबंधित अधिकारी के समक्ष इस मामले की शीघ्र सुनवाई के लिये उल्लेख किया गया। अधिवक्ता सौरभ मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा के बाद कमलनाथ सरकार विश्वास खो चुकी है। इन 22 विधायकों में से छह के इस्तीफे अध्यक्ष पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गयी है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार को एक दिन भी सत्ता में रहने का कोई कानूनी, नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री अपनी अल्पमत सरकार को बहुमत में तब्दील करने के लिये विधायकों को धमकी देने और प्रलोभन देने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। खरीद फरोख्त के प्रयास चरम पर हैं. इसलिए जरूरी है कि राज्यपाल के निर्देशानुसार 16 मार्च को ही सदन मे शक्ति परीक्षण कराया जाये याचिका में कहा गया है कि शक्ति परीक्षण स्थगित करने से खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा और यह राज्यपाल के निर्देशों और शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित व्यवस्था का उल्लंघन होगा।