केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को कहा – सीएए किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं करता

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लालकिला पोस्ट डेस्क
केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 संविधान में प्रदत्त किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं करता है। केंद्र ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपने 129 पेज के जवाब में नागरिकता संशोधन कानून को वैध बताया और कहा कि इसके द्वारा किसी भी प्रकार की संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन होने का सवाल ही नहीं है। केन्द्र की ओर से गृह मंत्रालय में निदेशक बीसी जोशी ने यह हलफनामा दाखिल किया।
सरकार ने हलफनामे में कहा कि यह कानून कार्यपालिका को किसी भी प्रकार के मनमाने और अनियंत्रित अधिकार प्रदान नहीं करता है, क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को इस कानून के अंतर्गत विर्निदिष्ट तरीके से ही नागरिकता प्रदान की जाएगी। केन्द्र की ओर से गृह मंत्रालय में निदेशक बीसी जोशी ने यह हलफनामा दाखिल किया है।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता का परीक्षण करने का निश्चय किया था, लेकिन उसे इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में कथित रूप से उत्पीड़न का शिकार हुये हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी अल्पसंख्यक समुदाय के उन सदस्यों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जो 31 दिसंबर, 2014 तक यहां आ गये थे।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केरल और राजस्थान सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 का सहारा लेते हुये वाद दायर किया है जबकि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, माकपा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के जयराम रमेश, द्रमुक मुन्नेत्र कषगम, एआईएमआईएम, भाकपा और कई अन्य संगठनों ने 160 से अधिक याचिकायें शीर्ष अदालत में दायर की गयी हैं।