और पीएम केयर्स फंड पर उठने लगे सवाल ——-

लालक़िला पोस्ट डेस्क
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक एक फंड की घोषणा की। नाम रखा पीएम केयर्स फंड। कहा गया कि इस फंड में प्राप्त राशि को कोरोना वायरस से उपजी आपात स्थिति से निपटने में इस्तेमाल किया जाएगा। देश के धनवानों ने इस फंड में खूब दान भी दिया। आज भी दे रहे हैं। आगे भी देंगे। लेकिन अभी करोना वायरस के संक्रमण के बीच ही पीएम केयर्स फंड पर भी सवाल उठने लगे हैं। कई लोगों ने ये सवाल उठाया है कि अगर पहले से ही इसी तरह का एक फंड ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ बनाया गया था तो इस ‘पीएम केयर्स’ की क्या जरूरत है और ये किस तरह पीएमएनआरएफ से अलग है। आरोप है कि इस नए फंड में पारदर्शिता नहीं है और ये भी नहीं पता है कि इस ट्रस्ट में कितने सदस्य हैं, उसके नाम क्या है. ‘पीएम केयर्स’ का कोई गैजेट नोटिफिकेशन भी प्रकाशित नहीं किया गया है और ये जानकारी भी नहीं है कि आखिर किस आधार पर ये पैसे खर्च किए जाएंगे।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि ‘पीएम केयर्स’ जैसी ही काफी पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में साल दर साल जितनी राशि प्राप्त हो रही है, उसका काफी कम हिस्सा खर्च किया गया है। हाल ये है कि पिछले 10 सालों में पीएमएनआरएफ में जितनी राशि प्राप्त हुई थी, उसमें से सिर्फ 53.56 फीसदी राशि ही खर्च की गई। वहीं भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के पहले पांच सालों में जितनी राशि प्राप्त हुई, उसका सिर्फ 47.13 फीसदी राशि खर्च हुई।
पीएमएनआरएफ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2009-10 से साल 2018-19 के बीच इस फंड में कुल 4713.57 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, लेकिन इस दौरान इसमें से सिर्फ 2524.77 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके।इसमें से वित्त वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच पीएमएनआरएफ में कुल 3383.92 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। हालांकि इसमें से इन पांच सालों में सिर्फ 1594.87 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके। सरकारी आंकड़ों से ये स्पष्ट होता है कि काफी लंबे समय से इस फंड में जितनी राशि प्राप्त हो रही है, उसमें से तकरीबन 50 फीसदी भी सरकारें खर्च नहीं कर पा रही हैं, जिसके चलते बची हुई राशि काफी बढ़ गई है। वित्त वर्ष 2018-19 के पूरा होने तक इस फंड में 3800.44 करोड़ रुपये बचे हुए थे।
इन 10 सालों में सबसे से ज्यादा 870.93 करोड़ रुपये साल 2014-15 में प्राप्त हुए थे। वित्त वर्ष 2010-11 एकमात्र ऐसा साल था, जब जितनी राशि प्राप्त हुए और उससे ज्यादा खर्च किया गया था. इस साल कुल 155.19 करोड़ रुपये पीएमएनआरएफ में प्राप्त हुए थे और 182.33 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। अगर वर्ष वार प्राप्त राशि और खर्च की तुलना करें तो स्थिति और ज्यादा चिंताजनक प्रतीत होती है। वित्त वर्ष 2013-14 577.19 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे और इसमें से सिर्फ 293.62 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके। वहीं 2014-15 के दौरान 870.93 करोड़ रुपये प्राप्त हुए लेकिन 372.29 करोड़ यानी कि करीब 43 फीसदी राशि ही खर्च की गई। इसी तरह 2017-18 में 489.65 करोड़ रुपये पीएमएनआरएफ में आए थे लेकिन इसमें से सिर्फ 180.85 करोड़ रुपये यानी कि 37 फीसदी राशि ही खर्च की गई। वित्त वर्ष 2018-19 में खर्च करने की स्थिति काफी खराब रही। इस दौरान फंड में 783.18 करोड़ रुपये आए, लेकिन इसमें से 212.50 करोड़ रुपये मतलब 27.13 फीसदी राशि ही खर्च हुई है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता से दान प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी। इसका संचालन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
खास बात ये है कि पीएमएनआरएफ के तहत सहायता राशि देने का दायरा काफी बड़ा है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, भूकंप, तूफान इत्यादि के पीड़ित परिवारों के लिए इसके तहत तत्काल सहायता देने का प्रावधान है. इसके अलावा किसी बड़ी दुर्घटना और दंगा पीड़ितों को भी इस फंड के तहत सहायता पहुंचाने की बात की गई है। इन सब के अलावा बड़े मेडिकल उपचार जैसे कि हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर और एसिड अटैक के पीड़ितों को इसके तहत आर्थिक मदद मुहैया कराने का प्रावधान रखा गया है। लेकिन अब तक के आंकड़े बता रहे हैं कि इस फंड का उपयोग सीमित स्तर पर ही किये जाते रहे हैं।
पीएमओ ने बीते 28 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चिंताजनक हालात जैसी किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या संकट से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य से एक विशेष राष्ट्रीय कोष बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और इससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड)’ के नाम से एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया गया है। प्रधानमंत्री इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और इसके सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री एवं वित्त मंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई भाजपा नेता और जानी-मानी हस्तियां सोशल मीडिया पर इस नए फंड की घोषणा का काफी प्रचार कर रही हैं।