कोरोना के खिलाफ जंग में ग्लोबल लीडर बनकर उभरे मोदी

लालकिला पोस्ट डेस्क
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया एक बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। इस वायरस की वजह से दुनिया भर में करीब 90 हजार लोगों की जान चुकी है, जबकि 15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित है। दुनिया के तमाम देश इससे हलकान हैं। फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, स्पेन और जर्मनी जैसे देशों के हाथ कांप रहे हैं। अमेरिका जैसी महाशक्ति ने भी इस महामारी के आगे सरेंडर कर दिया है। इन देशों को कुछ सूझ नहीं रहा कि आखिर वो अपने लोगों की रक्षा कैसे करें। ऐसे में भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह दुनिया के तमाम बड़े देशों के नेताओं को साथ आने का न्यौता दिया और भारत की ओर से मदद के हाथ बढ़ाए, उससे यह एक बार फिर साबित हो गया कि उनमें पूरे विश्व को साथ लेने और नेतृत्व करने की क्षमता है।
इसकी एक बानगी उस वक्त देखने को मिली, जब कोरोना के खिलाफ लड़ाई में घुटनों पर आ चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए भारत के आगे हाथ फैलाना पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा देने की अपील की। इतना ही नहीं ट्रंप ने भारत को दवा नहीं देने पर अंजाम भुगतने की धमकी तक दी। ट्रंप के इस धमकी के सामने आते ही भारत ने भी अपनी ओर से साफ कर दिया कि उसके लिए पहले देश है। चूंकि भारत खुद इस माहामारी से जूझ रहा है, ऐसे में उसके पास भी अपनी मजबूरी है। बावजूद इसके पीएम मोदी ने बड़ा दिल दिखाते हुए अमेरिका के साथ-साथ दूसरे देशों को भी इस दवा के निर्यात को मंजूरी दे दी।
अब जब भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का ऐलान किया तो ट्रंप के सुर भी अचानक बदल गए। अपने एक इंटरव्यू में ट्रंप ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बताते हुए उहोंने कहा कि वो भारत की इस मदद को याद रखेंगे। अमेरिका के बाद ब्राजील ने भी इस मदद के लिए भारत का धन्यवाद किया। ब्राजील के राष्ट्रपति जेर बोलसोनारो ने पीएम मोदी के नाम अपनी चिट्ठी में लिखा कि संकट की इस घड़ी में भारत ने जिस तरह ब्राजिल की मदद की है, वह बिल्कुल उसी तरह है, जैसे रमायण में हनुमान ने भगवान राम के भाई लक्ष्मण की जान बचाने के लिए संजीवनी लाकर किया था।
कोरोना के खिलाफ इस जंग में यह पहला मौका नहीं है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नेतृत्व की क्षमता दिखाई हो। भारत में कोरोना वायरस की आहट पाते ही पीएम मोदी ने सबसे पहले एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन कर दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय हर रोज एडवाइजरी जारी करता रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन जब तक इसे महामारी घोषित करता भारत में पूरा तंत्र और नागरिक सतर्क हो चुका था। उधर इस महामारी से निपटने के लिए पीएम मोदी दुनिया भर के देशों को साथ लाने में जुट गए। उनकी इस मुहिम को कई देशों का साथ मिला। पीएम मोदी ने सबसे पहले सार्क देशों को साथ आने की अपील की। इसका असर ये हुआ कि सार्क देशों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस महामारी पर चर्चा की, ताकि इस पूरे उप महाद्वीप को महामारी से बचाया जा सके। इसके बाद पीएम मोदी ने जी-20 देशों को साथ लाने की कोशिश में जुटे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही पहले जी-7 और फिर जी-20 देशों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस आपदा से सामूहिक तौर पर निपटना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पहल की कई देशों ने खुल मन से प्रशंसा की।
दुनिया को एकजुट करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मुल्क के लोगों को भी इस महामारी से बचाने के लिए कठोर कदम उठाने से नहीं चूके। पीएम की अपील ने कोरोना के खिलाफ पूरे देश को एकजुट कर दिया। देश में 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान के बाद पीएम ने देशवासियों से कोरोना के कर्मवीरों के समर्थन में अपनी-अपनी बालकनी से ताली और थाली बजाने की अपील की। इसके बाद उन्होंने नौ मिनट तक अपने घर की बत्तियां बुझाकर दरवाजे पर दीया, मोमबत्ती या स्मार्टफोन की फ्लशलाइट जलाने के लिए कहा। इसके पीछे उनकी सिर्फ एक सोच थी और वो थी कोरोना के खिलाफ देश को एकजुट करना। पीएम की इस अपील पर पूर देश एकजुट नजर आया।
पीएम के थाली और ताली बजाने का आइडिया न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी हिट रहा। अमेरिका और ब्रिटेन सरीखे देशों में लोगों ने कुछ इसी अंदाज में स्वास्थ्यकर्मियों का हौसला बढ़ाया। हालांकि पीएम के इस कदम को सियासी विरोधियों ने सुर्खियां बटोरने की आदत और गरीबों के साथ निर्मम मजाक करार दिया गया। लेकिन पीएम मोदी पर इन आलोचनाओं का कोई फर्क नहीं पड़ा और वो अपनी मुहिम में जुटे रहे। देश की जनता का जिस तरह साथ मिल रहा है, कम से कम एक बात तो साफ है कि वह लोगों का मिजाज समझते हैं। साथ ही जानते हैं कि इस समय देश की बड़ी आबादी अपने कमांडर के कहे अनुसार ही चलेगी।
कोरोना के खिलाफ उठाए गए कठोर कदमों की विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO भी तारीफ कर चुका है। WHO के कार्यकारी निदेशक माइकल जे रेयान कह चुके हैं कि भारत ने साइलेंट कीलर कही जाने वाली 2 गंभीर बीमारियों मसलन स्मॉल पॉक्स और पोलियो के उन्मूलन में दुनिया का नेतृत्व किया। भारत में जबरदस्त क्षमता है और वो कोरोना के खात्मे में अहम भूमिका निभा सकता है। दुनियाभर तमाम देशों के नेताओं संग प्रधानमंत्री मोदी की दोस्ती का ही असर है कि दुनिया के कोने-कोने में भारतीय परंपरा असर दिखा रही है। कोरोना के हमले के बाद अब हर देश नमस्ते कहने का भारतीय परंपरा का पालन कर रहा है। ताकि एक दूसरे के संपर्क में आने से बचा जा सके।
यानी साफ है कि जब कोरोना से निपटने में तमाम विकसित देश पस्त नजर आ रहे हैं, तो मोदी ने अपने संकल्प और इरादों से साफ कर दिया कि उनमें नहीं सिर्फ करीब 1.30 अरब की आबादी वाले भारत, बल्कि पूरी दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता है। कुल मिलाकर कोरोना के कहर के बीच पीएम मोदी एक ऐसे ग्लोबल लीडर बन कर उभरे हैं, जिन पर पूरी दुनिया की नजर है।