अगर सुबह बिस्तर छोड़ने में मुश्किल हो, तो हो जाएं सावधान

लालकिला पोस्ट डेस्क
अगर आपको सुबह बिस्तर छोड़ने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है, तो आपको इस पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि अगर आप अब तक इसे केवल आलस समझते आए हैं, तो बता दें कि ये एक मेडिकल कंडीशन है और इससे दुनिया में काफी संख्या में लोग प्रभावित हैं।
दऱअसल डाइसेनिया एक डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति को सुबह उठने में काफी दिक्कत होती है। हालांकि अधिकतर लोगों को जगने के बाद फिर से सोने का बड़ा मन करता है। डाइसेनिया पीड़ित लोग कई दिनों तक बिस्तर में रह सकते हैं और उठने के ख्याल भर से ही परेशान हो जाते हैं। डाइसेनिया से पीड़ित होने का शक होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि ये डिप्रेशन, क्रोनिक फैटिग्यू सिंड्रोम और पेन डिसऑर्डर फाइब्रोम्यालगिया का संकेत हो सकता है।
डाइसेनिया से पीड़ित होने का दावा करने वाले लोगों का कहना है कि ये डिसऑर्डर भले ही मेडिकली रूप से ना पहचान की जाती हो, लेकिन ये काफी रियल है। वैसे तो अलॉर्म बजते ही हर किसी को गुस्सा आता है, लेकिन डाइसेनिया मरीजों को बिस्तर से उठने में बहुत ज्यादा दर्द महसूस होता है। ऐसे लोगों को 7-8 घंटे से ज्यादा नींद की जरूरत होती है। यहां तक कि बाहरी दुनिया में चाहे कितनी बड़ी कमिटमेंट हो, उसके बावजूद ये बिस्तर से नहीं निकल पाते हैं।
अगर किसी को ऐसा लगता है कि वो इससे पीड़ित है, तो उन्हें सुबह उठने के एहसास को कुछ शब्दों में बयां करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर भावुक या कमजोरी जैसे शब्द दिमाग में आते हैं, तो उन्हें अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए।