गृह मंत्री शाह ने संसद में कहा एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं माँगा जाएगा

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लालकिला पोस्ट डेस्क
दिल्ली दंगा पर बहस के दौरान गृह मंत्री ने संसद में कहा कि एनपीआर प्रक्रिया के दौरान कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और नागरिकता का सत्यापन नहीं किया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानि एनपीआर को अपडेट करने के दौरान अगर कोई व्यक्ति मांगी गई जानकारी मुहैया नहीं करा पाता है तो उसे ‘डी’ या ‘संदिग्ध’ की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। अमित शाह ने कहा कि देश में किसी को भी एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘कोई भी दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे। सभी सूचनाएं स्वैच्छिक हैं. व्यक्ति जो भी जानकारी साझा करना चाहता है वो ही रिकॉर्ड किया जाएगा।
गृह मंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने पूछा, ‘अगर मैंने सही सुना है, गृह मंत्री कह रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति के नाम के आगे ‘डी’ नहीं लिखा जाएगा। है ना?’ इस पर शाह ने कहा, ‘हां’. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के किसी नेता को संदेह है तो वो उनसे चर्चा करेंगे।
अमित शाह का ये आश्वासन ऐसे समय पर आया है जब देश के कई राज्यों ने एनपीआर, 2020 के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है और देश के विभिन्न हिस्सों में विवादित नागरिक संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पुदुचेरी, बिहार आंध्र प्रदेश और दिल्ली सरकार ने भी एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है और ओडिशा एवं तेलंगाना जैसे राज्यों ने एनपीआर फॉर्म में माता-पिता जन्म स्थान से जुड़ी जानकारी मांगने पर आपत्ति जताई है। नागरिकता नियमों के अनुसार एनपीआर डेटा का सत्यापन तब शुरु होगा जब एनआरसी लागू किया जाएगा।