भारत के किस शिव मंदिर में धीरे-धीरे बढ़ रही है नंदी की मूर्ति ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
आपने भोले बाबा के मंदिर में नंदी की प्रतिमा देखी होगी। लेकिन उसके बढ़ने के बारे में नहीं सुना होगा। लेकिन आज हम आपको ऐक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां साल दर साल नंदी की प्रतिमा बढ़ती जा रही है।
जी हां, ये जानकर और सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन पूरी तरह से सच है, क्योंकि खुद पुरातत्व विभाग भी इस बात की पुष्टि कर चुका है। यहां सालों से दर्शन करने आने वालों की मानें तो पहले यहां परिक्रमा करना आसान था। अब मूर्ति के विस्तार की वजह से शिव-पार्वती के इस मंदिर में जगह कम पड़ रही है। वैज्ञानिकों की मानें तो हर 20 साल पर नंदी की मूर्ति एक इंच तक बढ़ती जा रही है। उनका मानना है कि मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, उसकी प्रवृति विस्तार वाली है।
मान्यता है कि इस शिव मंदिर की स्थापना अगसत्य ऋषि ने की थी। हालांकि, वो यहां भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनवाना चाहते थे, मगर स्थापना के दौरान मूर्ति का अंगूठा टूट गया। मूर्ति खंडित होने की वजह से मंदिर की स्थापना भी रुक गई। फिर ऋषि ने भगवान शिव की अराधना की, जिसके बाद प्रसन्न होकर भोलेनाथ प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि चूंकि ये स्थान कैलाश जैसा दिखता है, इसलिए यहां उनका मंदिर बनाना उचित है।
कहा जाता है कि एक श्राप की वजह से इस मंदिर में कौए नजर नहीं आते। ऐसी मान्यता है कि जब अगसत्य ऋषि तप कर रहे थे, तब कौए उन्हें परेशान कर रहे थे। नाराज होकर ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि वे यहां कभी नहीं आ सकेंगे। कौए शनि देव का वाहन है। कहा जाता है कि इस जगह शनि देव का वास नहीं होता। उमा-पार्वती का ये अनोखा मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में यांगती में स्थित है। वैसे तो इसकी स्थापना अगसत्य ऋषि ने की थी, मगर पूरे परिसर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के दौरान 15वीं शताब्दी में कराया गया। मंदिर के पास दो गुफाएं है। एक में भगवान वेंकटेश्वर की वो मूर्ति है जो स्थापना के ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के नंदी एक दिन जीवित हो जाएंगे। जिस दिन ऐसा होगा, उस दिन महाप्रलय आएगा और कलयुग का अंत हो जाएगा।