दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला दिवाली पर अयोध्या क्यों आईं थी?

लालकिला पोस्ट डेस्क
अयोध्या में दिवाली पर भव्य आयोजन किया गया। दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जुंग सुक इस दिवाली की साक्षी बनीं। दिवाली के अवसर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ दक्षिण कोरिया की महारानी के स्मारक का उद्घाटन किया। ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर दक्षिण कोरिया की महारानी का आखिर अयोध्या से कनेक्शन क्या है।
तो आपको ये बता दें कि इसके पीछे का करीब 200 साल पराना इतिहास है। दक्षिण कोरिया के साथ अयोध्या का सदियों पुराना भावनात्मक रिश्ता रहा है। इतिहास में इसके संकेत मिलते हैं कि राम की नगरी की एक रानी दक्षिण कोरिया की महारानी बनीं और लगभग 2 हजार साल पहले उसने वहां राज किया। रानी का नाम सुरीरत्ना था, जिन्हें कोरियाई भाषा में ह्यो ह्वांग-ओक कहा जाता था।
इन्हें कोरिया के कारक वंशज से जुड़ा बताया जाता है। इस वंशज के लोग किम्हे के बाशिंदा थे। किम्हे पुसान के नजदीक था, जिसे आज बुसान नाम दिया गया है। दक्षिण कोरिया में आबादी के लिहाज से राजधानी सियोल के बाद बुसान का ही नाम आता है। साल 2000 फरवरी में किम्हे के मेयर की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल अयोध्या आया। प्रतिनिधिमंडल का दावा था कि कारक वंश की रानी ह्वांग-ओक की शादी इसी वंश के संस्थापक किम सुरो से हुई थी और रानी ह्वांग-ओक का जन्म अयोध्या में हुआ था।
इस प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या को किम्हे शहर की तरह विकसित करनेका प्रस्ताव रखा था। इसी आधार पर रानी ह्वांग-ओक की याद में अयोध्या में एक स्मारक बनाने की योजना बनी। मार्च 2001 में स्मारक को हरी झंडी देते हुए प्रस्ताव पर दस्तखत हुआ और कुछ दिन बाद सरयू नदी के तट पर इसका निर्माण संपन्न हो गया। इसी के उद्धाटन समारोह में हिस्सा लेने वहां की पहली महिला अयोध्या पहुंची थीं।