ऐसा शिव मंदिर जहां पांडवों को मिली थी पाप से मुक्ति !

लालकिला पोस्ट डेस्क
हमारे देश की संस्कृति रहस्यों से भरी हुई है। हमारी सभ्यता सदियों पुरानी है और काल के चक्र में हम जितनी गहराई में उतरते जाते हैं, हमारे सामने आश्चर्य कर देने वाली जानकारियां आती जाती हैं। हर मंदिर का इतिहास अपने आप एक कहानी है। जिनकी सच्चाई और प्रमाणिकता जानने के लिए कई सारे दिमाग दिन रात मेहनत कर रहे हैं। इसी कड़ी में हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अरब सागर की गोद में है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं, गुजरात के भावनगर में निष्कलंक महादेव का मंदिर की। ये मंदिर भावनगर के कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर की ओर अंदर स्थित है। यहां अरब सागर की विशाल लहरें शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए दर्शनार्थियों को पैदल चलकर जाना पड़ता है।
समुद्र में महादेव के इस मंदिर को देखकर आप रोमांचित हो जाएंगे, भारी ज्वार के वक्त सिर्फ मंदिर की पताका दिखाई देती है। जैसे-जैसे पानी उतरता है, वैसे-वैसे मंदिर की आकृति स्पष्ट होती जाती है। इस मंदिर पांच स्वंयभू शिवलिंग हैं। हर शिवलिंग के सामने नंदी की प्रतिमा लगी हुई है। एक वर्गाकार चबूतरे के हर कोने पर एक-एक शिवलिंग स्थापित है। इसी चबूतरे पर एक छोटा सा तालाब है, जिसे पांडव तालाब कहते हैं।
शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से पहले श्रद्धालु इसी तालाब में हाथ-मुंह धुलते हैं। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जोड़ा जाता है। कहते हैं कि महाभारत के युद्ध खत्म होने के बाद पांडव बहुत दुखी थे। अपने ही सगे संबंधियों की हत्या करने के बाद उन्हें अपराधबोध हो रहा था। पांडवों ने इसी तट पर अपराधबोध से मुक्ति के लिए तप किया था। इनकी तपस्या से खुश होकर शिव भगवान प्रकट हुए थे और पांचों पांडवों को लिंग रूप में दर्शन दिए थे। कहते हैं कि तभी से वहीं पांचों शिवलिंग स्थित हैं।