क्या होता है जब बादल फटने पर आसमान से आती है भयावह आपदा ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
देश का 9 राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ के चलते काफी जान माल का नुकसान हुआ है। इस दौरान उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई जगहों पर बादल फटने और भारी बारिश से कोहराम मचने की खबरें भी सामने आई। कई जगहों पर भूस्खलन से पहाड़ टूट कर सड़कों पर आ गिरे। उत्तरकाशी, लामबगड़, बागेश्वर, चमोली और टिहरी में तो हालात काफी बुरे रहे। कई स्थानों पर बादल फटने से कई लोगों की जान चली गई। तो आइए जानते हैं कि बादल फटना किसे कहते हैं? बादल क्यों फटता है? इससे क्या होता है?
तो आपको बता दें कि बादल फटने का मतलब ये नहीं होता कि बादल के टुकड़े हो गए हों। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब एक जगह पर अचानक एकसाथ भारी बारिश हो जाए, तो उसे बादल फटना कहते हैं। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरे किसी गुब्बारे को फोड़ दिया जाए, तो सारा पानी एक ही जगह तेज़ी से नीचे गिरने लगता है। ठीक वैसे ही बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें तेजी से अचानक जमीन पर गिरती है। इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहते हैं। अचानक तेजी से फटकर बारिश करने वाले बादलों को प्रेगनेंट क्लाउड भी कहते हैं।
आमतौर पर कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है, जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है। फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है। बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है। पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते। फिर अचानक एक ही स्थान पर तेज़ बारिश होने लगती है। चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है।
पहाड़ों पर अमूमन 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं। हालांकि, बादल फटने का दायरा ज्यादातर एक वर्ग किमी से ज्यादा कभी भी रिकॉर्ड नहीं किया गया है। पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है, जो सैलाब बन जाती है। पहाड़ों पर पानी रूकता नहीं इसलिए तेजी से पानी नीचे आता है। नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़े ले आता है। इसकी गति इतनी तेज होती है कि इसके सामने पड़ने वाली हर चीज बर्बाद हो जाती है।