संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख का सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

लालकिला पोस्ट डेस्क
यह बात और है कि सीएए की पूरी कहानी भारत का आतंरिक मामला है। विपक्ष और आम जनता सरकार के इस कानून का विरोध कर रहे हैं। इसी कानून को को लेकर दिल्ली में भारी हिंसा भी हो गई जिसंव 48 लोगों की जाने चली गई और कई दर्जन लोग घायल है। उधर संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कार्यालय ने संशोधित नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की है और जिनेवा में भारत के स्थायी दूतावास को इसकी जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून बनाने वाली भारतीय संसद के संप्रभुता के अधिकार से संबंधित है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘जिनेवा में हमारे स्थायी दूतावास को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख (मिशेल बैश्लेट) ने सूचित किया कि उनके कार्यालय ने सीएए, 2019 के संबंध में भारत के सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा, ‘हमारा स्पष्ट रूप से यह मानना है कि भारत की संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर किसी विदेशी पक्ष का कोई अधिकार नहीं बनता है। कुमार ने कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है कि सीएए संवैधानिक रूप से वैध है और संवैधानिक मूल्यों का अनुपालन करता है। उन्होंने कहा, ‘यह भारत के विभाजन की त्रासदी से सामने आए मानवाधिकारों के मुद्दों के संबंध में हमारी तरफ से बहुत पहले जताई गई राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कुमार ने कहा, ‘भारत लोकतांत्रिक देश है जो विधि के शासन से चलता है। हम सभी हमारी स्वतंत्र न्यायपालिका का बहुत सम्मान करते हैं और उसमें पूरा भरोसा करते हैं। हमें भरोसा है कि हमारी मजबूत और कानूनी दृष्टि से टिकने वाली स्थिति को सुप्रीम कोर्ट में जीत मिलेगी। ’
मालूम हो कि पिछले साल 11 दिसंबर को संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही ये विधेयक अब कानून बन गया है। इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। नागरिकता संशोधन विधेयक में उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है।