आखिर हवा के उल्टा क्यों लहराता है जगन्नाथ मंदिर का झंडा ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
ओडिशा की तीर्थ नगरी पुरी में 10 दिनों तक मनाया जाने वाला भगवान जगन्नाथ की रथ उत्सव धूमधाम के साथ संपन्न हो गया। इस उत्सव को मनाने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु ओडिशा पहुंचे थे। इस रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का ही नहीं, बल्कि तीनों भाई-बहन के रथों के रंग अलग होते हैं।
खास बात ये है कि रंग के साथ इनके नाम भी अलग-अलग होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘गरुड़ध्वज’ या ‘कपिलध्वज’ कहा जाता है। जो तीनों रथों में सबसे बड़ा रथ होता है। इस रथ में कुल 16 पहिए लगे होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई 13.5 मीटर होती है। इस रथ में लाल और पीले रंग के कपड़े का इस्तेमाल होता है। माना जाता है कि इस रथ की रक्षा गरुड़ करते हैं। रथ पर लगे ध्वज को ‘त्रैलोक्यमोहिनी” कहते हैं। वैसे तो पुरी का जगन्नाथ मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है, बावजूद इसके इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। तो आइए जानते हैं भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी वो 7 बातें जो आपको हैरान कर सकती है।
नंबर एक- जगन्नाथ पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे, तो वो आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
नंबर दो- मंदिर के ऊपर लगा ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
नंबर तीन- हर दिन शाम को मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को कोई मनुष्य उल्टा चढ़कर बदलता है।
नंबर चार- इस मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है
नंबर पांच- जगन्नाथ पुरी के रसोईघर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए 500 रसोइए और उनके 300 सहायक-सहयोगी एकसाथ काम करते हैं। यहां सारा प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में ही पकाया जाता है।
नंबर छह- मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम रखते ही मंदिर के भीतर किसी भी भक्त को सागर निर्मित ध्वनि नहीं सुनाई देती, लेकिन जैसे ही आप मंदिर से बाहर एक भी कदम रखते हैं, आप इस आवाज को सुन पाएंगे।
और नंबर सात- हैरानी की बात यह है कि इस मंदिर के ऊपर से कभी भी आप किसी पक्षी या विमान को उड़ते हुए नहीं देखेंगे।