इस गांव के लोग आखिर क्यों नहीं पहनते चप्पल ? इस गांव में चप्पल पहनने पर क्यों मिलती है कठोर सज़ा ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
फैशन के इस दौर में कपड़ों से मैचिंग जूते-चप्पल पहनने का चलन तेज हो गया है। साधारण शख्स के पास भी दो तीन जोड़ी जूते चप्पल तो होते ही हैं। शौकीन लोग तो इस पर हजारों लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। कुछ सालों पहले तक पिछड़े गांवों में नंगे पांव चलते कुछ लोग दिखाई दे जाया करते थे। लेकिन आज चप्पल और जूते फैशन के साथ-साथ जरूरत बन चुके हैं। लेकिन आज आपको यहां ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जूते चप्पल पहनने के नाम पर नाराज हो जाते हैं लोग।
अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे हो सकता है तो हम आपको बता दें कि मदुराई से 20 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव है जहां पर लोगों को जूते चप्पल पहनना मना है। इस गांव का नाम कलिमायन है। इस गांव में सालों तक किसी ने अपने पैर में चप्पल या फिर जूते नहीं पहने। यहां तक की इस गांव के लोग अपने बच्चों को भी इसे पहनने से मना करते हैं। अगर कोई गलती से भी जूते पहन लेता है तो उसे कठोर सजा सुनाई जाती है।
जूते चप्पल न पहनने के पीछे लोगों का अपना तर्क है। इस गांव के लोग अपाच्छी नाम के देवता की सदियों से पूजा करते आ रहे हैं। उनका मानना है कि अपाच्छी नाम के देवता ही उनकी रक्षा करते हैं। अपने इसी देवता के प्रति आस्था दिखाने के लिए गांव की सीमा के अंदर जूते-चप्पल पहनना मना है। इस गांव के लोग पीढ़ियों से इस परंपरा को निभाते चले आ रहें हैं। अगर गांव के लोगों को कही जाना होता है तो हाथ में चप्पल लेकर गांव की सीमा तक आने के बाद पहन लेते हैं।