दीपावली पर क्यों करते हैं मां लक्ष्मी और गणपति की पूजा ?

लालकिला पोस्ट डेस्क
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणपति की पूजा का बहुत महत्व है। इनकी पूजा के बिना ये त्योहार अधूरा रहता है। लेकिन अक्सर मन में ये सवाल पैदा होता है कि आखिर दिवाली पर लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा को ज्यादा तवज्जो क्यों दी जाती है? तो आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब और इसके धार्मिक महत्व को।
लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है। कार्तिक अमावस्या की पावन तिथि पर धन की देवी को प्रसन्न कर समृद्धि का आशीर्वाद लिया जाता है। दिवाली से पहले आनेवाले शरद पूर्णिमा के त्योहार का मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव की तरह मनाया जाता है। फिर दीपावली पर उनका पूजन कर धन-धान्य का वर लिया जाता है।
वहीं गणपति को बुद्धि के देवता कहा गया है। हिंदू धर्म में कोई पूजा और कर्मकांड गणपति की पूजा के बिना शुरू नहीं किया जाता। दिवाली पर गणेश की पूजा की ये भी एक वजह है। साथ ही धन देवी की पूजा से समृद्धि का आशीर्वाद मिलने के बाद व्यक्ति को सद्बुद्धि की जरूरत होती है। ताकि वो धन का उपयोग सही कामों में करे। इसी प्रार्थना के साथ दीपावली पर गणपति की पूजी की जाती है कि हे प्रथम पूजनीय गणपति हमें सद्बुद्धि प्रदान कर सन्मार्ग पर आगे बढ़ने का वरदान दें।
जहां तक इसके धार्मिक महत्व की बात है तो दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। जबकि इससे 15 दिन पहले आश्विन पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी का जनमोत्सव शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक रीति के अनुसार, मां लक्ष्मी की पूजा का मुख्य दिन शरद पूर्णिमा ही है, जबकि दीपावली के दिन मां काली की पूजा मुख्य होनी चाहिए। इसका कारण ये है कि अमावस्या की रात मां कालरात्रि की रात होती है, इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा होनी चाहिए। लेकिन बदलते समय और बाजारवाद के हावी होने के साथ ही दीपावली पर लक्ष्मी पूजा को प्राथमिकता दी जाने लगी।